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झारखंड के नेताओं ने तेलंगाना और छत्तीसगढ़ के चुनावी नतीजों को इस तरह प्रभावित किया  

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द फॉलोअप डेस्क 

मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान औऱ तेलंगाना में हुए चुनाव के नतीजे सामने आ चुके हैं। प्रथम के तीन राज्यों में यानी तेलंगाना को छोड़कर, सभी में बीजेपी को बहुमत मिला है। इसके बाद जीत-हार के कारणों का आकलन शुरू हो गया है। इस क्रम में छत्तीसगढ़ और तेलंगाना से जुड़े एक दिलचस्प तथ्य की चर्चा हो रही है। सियासी जानकारों का कहना है कि इन दोनों राज्यों के चुनावी परिणाम को झारखंड के नेताओं ने किसी न किसी रूप से जरूर प्रभावित किया है। वहीं, इस बात की भी अलग से चर्चा हो रही है कि छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश की आदिवासी बहुल सीटों पर अगर झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने प्रचार किया होता, तो परिणाम शायद बदल सकते थे। 

बाबूलाल और अनंत ओझा ने ऐसे डाला प्रभाव 
सियासी जानकारों के अनुसार बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने छत्तीसगढ़ में 11 सीटों पर परिवर्तन संकल्प रैली की। इनमें से 8 सीटों पर बीजेपी को साफ तौर जीत मिली। इसी तरह बिजेपी विधायक अनंत ओझा को सरगुजा संभाग की 14 सीटों का प्रभार मिला था। ये 14 सीटें भाजपा के खाते में गयीं। इन सभी सीटों पर पहले कांग्रेस का कब्जा था। राज्यपाल बनाए जाने के पहले रघुवर दास ने भी दुर्ग जिले में प्रचार की कमान संभाली थी। इस सीट पर भी भाजपा जीती। तेलंगाना में कांग्रेस की जीत के हीरो भी वहां के प्रभारी डॉक्टर अजय कुमार रहे। पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष को तेलंगाना का प्रभारी बनाया गया था।

इंडिया गठबंधन में शामिल सीएम बयान देने से कतराते रहे 

वहीं, 3 राज्यों में BJP की जीत पर इंडिया गठबंधन में शामिल किसी भी CM का अब तक न कोई बयान आया और न ही कोई ट्वीट। न अरविंद केजरीवाल कुछ बोले और न ही हेमंत सोरेन। नीतीश कुमार, ममता बनर्जी, तेजस्वी यादव ने भी खबर लिखे जाने तक बीजेपी की जीत पर कुछ नहीं कहा है। तेलंगाना में मिली कांग्रेस की जीत पर भी इंडिया गठबंधन के खेमे से कोई बयान नहीं आया है। सियासी समीकरण के जानकारों का मानना है कि इंडिया गठबंधन में सही समन्वय नहीं है। अगर सही समन्वय रहता तो राज्य की कमान संभाल रहे नेताओं का भी चुनाव प्रचार में इस्तेमाल होता। जैसे आदिवासी बहुत इलाकों में झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन से भी प्रचार करवाया जा सकता था। लेकिन ऐसा हुआ नहीं।