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JNU से पढ़ा फिर UPSC की तैयारी, फेल हुआ तो फर्जी सर्टिफिकेट बनाकर बेचने लगा

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द फॉलोअप डेस्क
इंदौर पुलिस ने शनिवार को रांची के बरियातू हाउसिंग कॉलोनी के फ्लोरा अपार्टमेंट से फर्जी सर्टिफिकेट बनाने वाले एक गिरोह का पर्दाफाश किया है। गिरोह के लोग रांची के अपार्टमेंट में बैठकर  देशभर के विश्वविद्यालयों के फर्जी सर्टिफिकेट बनाने का काम करते थे।  गिरोह में कुल 4 सदस्य हैं। हैरान की बात तो ये है कि इन चोरों ने अपनी पढ़ाई JNU से पूरी की है। इसके बाद UPSC में भी अपना हाथ आजमाया लेकिन जब फेल हो गए तो फर्जी सर्टिफिकेट बनाकर बेचने लगे। चारों गिरफ्तार शातिर बिहार के रहने वाले हैं। वहीं गिरोह में बिहार के अलावा झारखंड, मध्यप्रदेश और दिल्ली से 40 से ज्यादा लोग शामिल हैं।  जो अलग-अलग विवि में जाकर स्टूडेंट्स को झांसे में लेकर ठगते हैं।


ग्रेजुएशन की डिग्री के लिए 50 हजार तो मास्टर डिग्री के लिए एक लाख
पुलिस ने जिस गिरोह को गिरफ्तार किया था उसमें बिहार के पूर्णिया के रहने वाले आर्यन उर्फ मुकेश सिंह और उसका भतीजा अमित कुमार सिंह के अलावा दो अन्य शामिल हैं। आर्यन ही इस गिरोह का लीडर है। उसने पुलिस पूछताछ में कई हैरान करने वाले खुलासे किए हैं। आर्यन ने बताया कि अबतक उनलोगों ने 300 से ज्यादा विद्यार्थियों को फर्जी सर्टिफिकेट देकर चुना लगाया है। इन लोगों का फर्जी सर्टिफिकेट बनाकर देने की एक फिक्स प्राइस थी। मतलब कि अगर आपको ग्रेजुएशन की डिग्री चाहिए तो उसके लिए 50 हजार खर्च करने पड़ेंगे। वहीं अगर मास्टर डिग्री चाहिए तो एक लाख भुगतान करना होगा। वहीं आर्थिक रुप से कमजोर वर्ग के बच्चों को कम पैसे में भी सर्टिफिकेट दे देते थे। 


पढ़ाई में कमजोर छात्रों को करते थे टारगेट 
गिरोह का सरगना आर्यन ने पुलिस को बताया कि वह अपार्टमेंट के आसपास रहने वालों लोगों को अपना परिचय रिटायर्ड वीसी के तौर पर देता था ताकि लोग उसे सम्मान दें। आर्यन के गिरोह में कई लड़कियां भी शामिल हैं। ये लड़कियां विश्वविद्यालयों में जाकर छात्र-छात्राओं का फंसाने का काम करती हैं। ये पढ़ाई में कमजोर छात्रों को टारगेट करके उसे अपनी ठगी का शिकार बनाते थे। 


कुरियर से भेजा जाता था सर्टिफिकेट 
इस शातिर गैंग ने कभी भी विद्यार्थियों को ऑफिस या घर में बुलाकर सर्टिफिकेट नहीं दिया बल्कि उसे कुरियर से भेजा जाता था।  बुलाते भी क्यों उनके गिरोह को पर्दाफाश जो हो जाता। इतने के बावजूद इन्हें कोई भी कंपनी आजतक नहीं पकड़ पाई। पुलिस अब उन विद्यार्थियों के बारे में भी जानकारी जुटाने का प्रयास कर रही है कि जिन्होंने इनसे सर्टिफिकेट की खरीदारी की है। फ्लैट से पुलिस ने विभिन्न विश्वविद्यालयों के स्टांप-मुहर के अलावा लैपटॉप, प्रिंटर व मोबाइल आदि बरामद किए हैं।