रांची
झारखंड के IAS अधिकारी रमेश घोलप (Ramesh Gholap) ने अपने जीवन की प्रेरक कहानी शेयर की है। कहा है कई बार उनकी मां ने उनकी पढ़ाई का खर्च पूरा करने के लिए चूड़ियां तक बेची। रमेश घोलप ने अपने संघर्ष के दिनों को याद करते हुए कहा, जब मैं सरकारी शिक्षक बना था तो सिविल सेवा परिक्षा की तैयारी करने के लिये 2010 में नौकरी का इस्तीफ़ा दिया था। उस समय लोग कहते थे, 'पागल हो गया है ये, इसे रहने के लिये घर नहीं है। मां चूड़ियाँ बेचती है। इसने अच्छी खासी सरकारी नौकरी का इस्तीफ़ा दिया। घोलप ने कहा, आगे जाकर 2012 में जब मैं IAS बना तो यही लोग बोलने लगे, 'हिम्मत और खुद पर भरोसा क्या होता है, ये रमेश घोलप से सीखो।
कहा- मैंने हिम्मत दिखाई
घोलप ने कहा कि सरकारी नौकरी का इस्तीफ़ा देने की हिम्मत मैंने दिखायी थी। जो ठान लिया वह हासिल किया। ऐसे होते है कुछ लोग। लोग क्या कहेंगे यही सोचता रहता तो आज मैं आईएएस नहीं होता। घोलप ने आगे कहा, भला आपकी ज़िंदगी के सपने और उसे सच कर दिखाने का साहस कोई और कैसे कर सकता है। नहीं तो फिर औरों के हिसाब से क्यों चलना। कहा, आपकी योग्यता, क्षमता, पसंद, सपने, ऊर्जा ये सब सिर्फ आपको पता होते हैं। उसके अनुसार निर्णय लेना चाहिये।
सही निर्णय लिया
आईएएस घोलप ने कहा, लोग चाहे कुछ भी कहें, खुद के परिश्रम से वह निर्णय सही था। यह साबित करके दिखाना चाहिये। आपकी सफलता कभी न गिरने में नहीं है बल्कि गिर कर उठने में है। जब कोई बात आपके बस की नहीं है, ऐसा लोग कह रहे होते हैं, तभी वह कर के दिखाने में असली मजा होता है। उन्होंने आगे कहा, दोस्तों महनत करना मत बंद करो। प्रयास जारी रखो। लड़ते रहो, गिरते रहो और आगे बढ़ते रहो।