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गृह-प्रवेश में छुट्टी नहीं मिलने पर छोड़ी थी नौकरी, अब कांग्रेस में शामिल हुई ये महिला IAS; लडेंगी चुनाव

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द फॉलोअप डेस्कः
कुछ महीने पहले खबर आई थी कि मध्य प्रदेश के छतरपुर के लवकुश नगर में पदस्थ डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। इस्तीफे की वजह उन्होंने छुट्टी न मिलना बताया था। निशा बांगरे ने 22 जून को प्रमुख सचिव, सामान्य प्रशासन विभाग को इस्तीफा भेजा था। वो 25 जून को बैतूल के आमला में अंतरराष्ट्रीय सर्वधर्म शांति सम्मेलन और विश्व शांति पुरस्कार सम्मान समारोह और अपने घर के उद्घाटन कार्यक्रम में शामिल होना चाहती थीं, लेकिन शासन से इसकी इजाजत नहीं मिली। अब खबर आ रही है कि निशा बांगरे ने राजनीति में कदम रख लिया है। उन्होंने कांग्रेस पार्टी का दामन थाम लिया। उन्होंने गुरुवार दोपहर छिंदवाड़ा में कमलनाथ की जनसभा में सदस्यता ग्रहण की। 


कांग्रेस का थामा दामन 
इससे पहले निशा बांगरे छिंदवाड़ा में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ के आवास पर पहुंचीं। निशा ने इस दौरान कहा, "कांग्रेस की तरफ से मुझसे कहा गया था कि वे मेरे इस्तीफे का इंतजार करेंगे।  जब मैंने इस्तीफा दे दिया है, तो मैं यह कमल नाथ से बात करने आई हूं कि वह क्या चाहते हैं? मैं शाम को कमलनाथ जी से मिली मिली और उन्होंने मुझे बताया कि दिल्ली और भोपाल में लोगों से बात करनी पड़ेगी। लिए मैं एक फिर सुबह कमलनाथ जी से मिलने आई हूं। अब उनकी बातचीत के बाद ही मैं कुछ कह पाऊंगी।" जब  निशा बांगरे से पूछा गया कि आपकी पार्टी ने 7 टिकट बदले दिए हैं तो क्या आपको भी आमला से टिकट मिलने की उम्मीद है? तो जवाब में उन्होंने कहा कि उम्मीद पर तो दुनिया कायम है। 


कमलनाथ नहीं करना चाहते फैसला 
बता दें कि कांग्रेस मध्य प्रदेश में 7 सीटों पर उम्मीदवार बदल चुकी है. इनमें नरसिंहपुर जिले की गोटेगांव, शिवपुरी जिले की पिछोर और दतिया सीट शामिल है. इसके अलावा सुमावली, पिपरिया, बड़नगर और जावरा विधानसभा में पार्टी ने भारी विरोध के बाद प्रत्याशी बदल दिया गया। अब सवाल बना हुआ है कि क्या बैतूल की आमला सीट से कांग्रेस अपना प्रत्याशी बदल सकती है? क्योंकि कांग्रेस ने आमला से अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है। बता दें कि कांग्रेस ने बीते सोमवार देर शाम ही मनोज माल्वे को आमला से उम्मीदवार बनाया गया. मनोज मालवे को टिकट दिए जाने के बाद कमलनाथ अब खुद कोई बड़ा फैसला नहीं करना चाहते, इसीलिए उन्होंने अब गेंद दिल्ली के नेताओं के पाले में डाल दी है।


इस वजह से रूख किया था कोर्ट का 
गौरतलब है कि शिवराज सरकार ने सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के आदेश के पालन में निशा बांगरे का त्याग पत्र स्वीकार किया था। इसके साथ ही सेंसर के साथ विभागीय जांच भी समाप्त कर दी। दरअसल, छतरपुर जिले में एसडीएम निशा बांगरे नौकरी से इस्तीफा देकर चुनाव लड़ना चाहती थीं। लेकिन सरकार उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं कर रही थी और इसलिए निशा बांगड़े ने कोर्ट का रुख किया था। 

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