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हेमंत सरकार वित्त रहित शिक्षण संस्थानों का बनायेगी डेटाबेस, जानिये; क्या होगा इससे फायदा

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रांची 
हेमंत सोरेन सरकार ने शिक्षा से संबंधित एक बड़ा निर्णय किया है। मिली खबर के मुताबिक हेमंत सरकार राज्यभर के वित्त रहित शिक्षण संस्थानों का डेटाबेस तैयार करेगी। राज्य में कई वित्त रहित शिक्षण संस्थान हैं, जिनमें मदरसा, इंटर स्तर के कॉलेज, माध्यमिक और संस्कृत विद्यालय शामिल हैं। इन संस्थानों की पूरी जानकारी ऑनलाइन डिजिटल मोड में उपलब्ध कराने की योजाना है। प्रस्तावित डेटाबेस के अनुसार इन शिक्षण संस्थानों को अनुमति प्रमाण पत्र और इनको अनुदान देने की प्रक्रिया ऑनलाइन पूरी की जायेगी। इसके लिए एक अलग वेब पोर्टल तैयार किया जायेगा। ये काम स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग की ओर से किया जायेगा। साक्षरता विभाग की ओर से जारी निर्देश के बाद माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने इस बाबत पोर्टल के निर्माण, संचालन और इसके मेंटनेंस के लिए विभिन्न एजेंसियों से संपर्क किया है। 

फिलहाल ये है व्यवस्था
गौरतलब है कि फिलहाल वित्त रहित शिक्षण संस्थान स्वीकृति और अनुदान के लिए ऑनलाइन आवेदन करते हैं लेकिन, अब इस प्रक्रिया के लिए अलग से पोर्टल का निर्माण किया जायेगा। इस पोर्टल में वित्त रहित शिक्षण संस्थानों का संपूर्ण डेटाबेस उपलब्ध होगा। उपलब्ध डेटाबेस में संस्थानों की भूमि, उनके रजिस्ट्रेशन और उनकी पूरी चल-अचल संपत्ति का ब्योरा उपलब्ध होगा। इन संस्थानों को पिछले 3 वर्ष में मिली अनुदान की राशि, छात्रों और शिक्षकों की संख्या और विभिन्न परीक्षाओं के रिजल्ट आदि की जानकारी ऑनलाइन मिल जायेगी।  

संस्थानों का यूनिक आईडी बनेगा

वित्त रहित शिक्षण संस्थानों का एक यूनिक आईडी भी बनाया जायेगा। इस यूनिक आईडी के माध्यम से संस्थानों को ऑनलाइन ट्रैक किया जा सकेगा। इसमें सबसे अहम बात ये है कि वित्त रहित शिक्षण संस्थानों के क्रिया-कलापों की निगरानी और इससे संबंधित शिकायतों को भी ऑनलाइन अपलोड किया जा सकेगा। इससे कार्य में पारदर्शिता आयेगी। 

गड़बड़ी की मिल रही थी शिकायतें 
जानकारों का मानना है कि अलग पोर्टल और ऑनलाइन डेटाबेस की मदद से फर्जीवाड़ा और गड़बड़ियों पर लगाम कसा जा सकेगा। सरकार को लंबे अरसे से शिकायत मिल रही थी कि अनुदान लेकर कई वित्त रहित संस्थान राशि का दुरुपयोग करते हैं। नयी व्यवस्था के तहत अब और बेहतर तरीके से इसकी निगरानी हो सकेगी। बता दें कि वित्त रहित शिक्षण संस्थानों का भौतिक सत्यापन जिला शिक्षा पदाधिकारियों द्वारा किया जाता है लेकिन, इसके बाद भी अक्सर वित्तीय गड़बड़ी की शिकायतें मिलती रहती हैं। पोर्टल के अस्तित्व में आ जाने से इस तरह की अनियमितताओं को विभाग से छिपाया नहीं जा सकेगा।