द फॉलोअप डेस्क
जम्मू-कश्मीर के राजस्व सचिव IAS कुमार राजीव रंजन के खिलाफ CBI ने कार्रवाई की तैयारी कर ली है। इस कार्रवाई के साथ ही रंजन देश के पहले IAS अधिकारी बन गए हैं, जिन पर ऐसा कदम उठाया गया है। उनके खिलाफ केस चलेगा। दरअसल, अनुच्छेद 370 हटने से पहले, जब जम्मू-कश्मीर एक विशेष राज्य का दर्जा रखता था, 2012 से 2016 के बीच भारी संख्या में पिस्टल लाइसेंस जारी किए गए थे। इनकी संख्या 2.74 लाख से अधिक बताई जा रही है। CBI की जांच में सामने आया है कि ये लाइसेंस जिला कलेक्टरों, पुलिस उपायुक्तों और लाइसेंसिंग अधिकारियों द्वारा वित्तीय लाभ के लिए अवैध रूप से जारी किए गए थे। यह घोटाला करीब 100 करोड़ रुपये का बताया गया है।
16 जिला कलेक्टरों पर भी शिकंजा
CBI ने अक्टूबर में अपनी जांच पूरी कर ली और कोर्ट को सूचित किया कि 16 जिला कलेक्टरों (13 IAS और 3 कश्मीर लोक सेवा आयोग के अधिकारी) के खिलाफ कार्रवाई के लिए केंद्र सरकार से अब तक अनुमति नहीं मिली है। इन अधिकारियों पर अयोग्य लोगों को हथियार लाइसेंस जारी करने का आरोप है। कोर्ट ने 25 नवंबर को केंद्रीय गृह मंत्रालय से इस मामले में नाराजगी जताई।
ED की शिकायत और आगे की जांच
केंद्रीय सेवा में अधिकारियों के खिलाफ किसी भी कार्रवाई के लिए केंद्र सरकार की अनुमति जरूरी होती है। इसी आधार पर कोर्ट ने राजीव रंजन का नाम भी चर्चा में लाया। पिछले साल, प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने वित्तीय हेराफेरी के मामले में रंजन, उनके पिता कृपा शंकर रॉय और भाई ज्योति रंजन समेत कई अधिकारियों, हथियार डीलरों और बिचौलियों के खिलाफ शिकायत दर्ज की थी।
सुरक्षा पर सवाल
ED ने अपनी शिकायत में दावा किया था कि इन आरोपियों ने राज्य की सुरक्षा के साथ समझौता किया है। मामले की गंभीरता को देखते हुए, कोर्ट और जांच एजेंसियां सख्त कदम उठाने के मूड में हैं। इस केस के परिणाम का पूरे देश में गहरा प्रभाव पड़ने की संभावना है।