द फॉलोअप नेशनल डेस्क:
कांग्रेस पार्टी देश में वन नेशन-वन इलेक्शन के पक्ष में नहीं है। देश में वन नेशन-वन इलेक्शन की संभावनाएं तलाशने और कानूनी पक्ष का विश्लेषण करने के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में बनाई गई हाईलेवल कमिटी को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने चिट्ठी लिखी है। मल्लिकार्जुन खड़गे ने कमेटी के सचिव को चिट्ठी लिखकर बताया कि है कि कांग्रेस पार्टी वन नेशन-वन इलेक्शन के विचार का कड़ा विरोध करती है।
Congress President Mallikarjun Kharge writes to the secretary of high-level committee for 'One Nation One Election', in his letter he said that Congress is strongly opposed to the idea of 'One Nation One Election'. pic.twitter.com/n9KBQQd78O
— ANI (@ANI) January 19, 2024
कमेटी में राज्यों-राजनीतिक दलों को प्रतिनिधित्व नहीं!
मल्लिकार्जुन खड़गे ने कमेटी के सचिव को लिखे पत्र में कहा है कि वन नेशन वन इलेक्शन के लिए गठित कमेटी में राज्य सरकारों और प्रमुख विपक्षी दलों को पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया है। यह पक्षपातपूर्ण है। उन्होंने कहा कि कमेटी की अध्यक्षता पूर्व राष्ट्रपति कर रहे हैं यह भी परेशान करने वाली बात है क्योंकि हमारी छोड़िए, आम जनता को भी ऐसा लगता है कि परामर्शदात्री कमिटी दिखावा भर है, और मन पहले ही बना लिया गया है। मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 2018 में संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए वन नेशन वन इलेक्शन की वकालत यह कहते हुई की थी कि बार-बार चुनाव होने से विकास कार्य प्रभावित होते हैं। मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि हमारा मानना है कि विकास कार्य प्रभावित होने का कारण खुद प्रधानमंत्री हैं क्योंकि वह शासन की बजाय चुनाव प्रक्रिया में ज्यादा सक्रिय रूप से हिस्सा लेते हैं।
मल्लिकार्जुन खड़गे ने चुनावी खर्च के तर्क का खंडन किया
वन नेशन-वन इलेक्शन के समर्थन में वित्तीय बोझ की बात का खंडन करते हुए मल्लिकार्जुन खड़गे ने 2014 के आम चुनावों में 3,870 करोड़ रुपये खर्च हुए। वहीं केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी को 2016-2022 के दौरान 10,122 करोड़ रुपये का चंदा मिला। इसमें से 5,271.97 करोड़ रुपये गुमनामी चुनावी बांड से हासिल हुए। मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि यदि यह कमेटी, सरकार औऱ केंद्रीय निर्वाचन आयोग चुनावों पर होने वाले खर्च को लेकर गंभीर है तो उसे फंडिंग प्रक्रिया को और पारदर्शी बनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि केंद्रीय निर्वाचन आयोग ने दावा किया है कि वीवीपैट मशीनों के उपयोग से चुनाव खर्च में वृद्धि होती है लेकिन हम बताना चाहेंगे कि आयोग राजनीतिक दलों की मांग के मुताबिक वीपीपैट पर्चियों की गिनती नहीं करता।
आदर्श आचार संहिता से विकास कार्य प्रभावित होने की बात भ्रम
आदर्श आचार संहिता की वजह से कल्याणकारी योजनाओं और विकास कार्यों पर असर पड़ने के तर्क का खंडन करते हुए खड़गे ने कहा कि इस दौरान भी योजनाएं और परियोजनाएं जारी रहती है। किसी भी परिस्थिति में चुनाव आयोग हमेशा से मौजूदा योजनाओं या परियोजनाओं को मंजूरी दे सकता है। उन्होंने इसे तर्क को गुमराह करने वाला बताया। उन्होंने कहा कि पत्र में नीति आयोग की रिपोर्ट पर भरोसा किया गया है जबकि हमारा मानना है कि नीति आयोग संवैधानिक या वैधानिक उच्चस्तरीय संस्था नहीं है।