logo

Child Pornography : ऐसा क्या हुआ कि सुप्रीम कोर्ट को पलटना पड़ा HC का फैसला, पॉक्सो एक्ट पर क्या कहा  

sc_2216.jpeg

द फॉलोअप डेस्क 
सुप्रीम कोर्ट ने बच्चों से जुड़े पोर्नोग्राफी कंटेंट के मामले पर बड़ा फैसला सुनाया है। सर्वोच्च अदालत ने कहा है कि इस तरह का कंटेंट देखना, प्रकाशित और डाउनलोड करना अपराध है। फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाई कोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया है। मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचुद, जस्टिस जेबी पारदी वाला और जस्टिस मनोज मिश्र की पीठ ने की। कोर्ट ने केंद्र सरकार से चाइल्ड पोर्नोग्राफी की जगह 'बाल यौन शोषण और दुर्व्यवहार सामग्री' शब्द इस्तेमाल करने के लिए कहा।

जस्टिस जेबी पारदीवाला ने सर्व सम्मत फैसले में मद्रास हाईकोर्ट के फैसले के बारे में कहा कि आदेश में आपने गलती की है। इसलिए हम हाईकोर्ट के आदेश को रद्द करते हुए मामले को वापस सेशन कोर्ट में भेजते हैं। दरअसल, मद्रास हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि बच्चों से जुड़े पोर्नोग्राफी कंटेंट को सिर्फ डाउनलोड करना या फिर देखना, POCSO एक्ट या IT कानून के तहत अपराध के दायरे में नहीं आता। मद्रास हाईकोर्ट ने इसी आधार पर मोबाइल फोन में बच्चों से जुड़े पोर्नोग्राफी कंटेंट रखने के आरोपी शख्श के खिलाफ चल रहे केस को रद्द कर दिया था। बता दें कि मद्रास हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ बच्चों के अधिकारों के लिए काम करने वाली कई संस्थाओं ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।

कोर्ट ने कहा कि संसद को 'चाइल्ड पोर्नोग्राफी' शब्द के स्थान पर 'बाल यौन शोषण और दुर्व्यवहार सामग्री' (सीएसईएएम) शब्द रखने के उद्देश्य से POCSO में संशोधन लाने पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। ताकि ऐसे अपराधों की वास्तविकता को ज्यादा सटीक रूप से दर्शाया जा सके। कोर्ट ने कहा कि इन धाराओं के तहत पुरुषों को एक्टस रीअस से निर्धारित किया जाना चाहिए। यह देखा जाना चाहिए कि आइटम को किस तरह से संग्रहीत किया गया था या हटा दिया गया था। ऐसी सामग्री को साझा करने के लिए आरोपी के हिस्से इरादा तय होना चाहिए।

Tags - Child pornography Supreme Court HC decision Jharkhand News News Jharkhand