द फॉलोअप टीम
मानव तस्करी के शिकार बालक-बालिकाओं को मुक्त कराकर उनके घरों में पुनर्वास किया जा रहा है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के सार्थक प्रयास से यह सफल हो रहा है। इस कड़ी में मानव तस्करी के शिकार झारखंड के साहिबगंज जिले के 3 बालक एवं 11 बालिकाओं को गुरूवार को दिल्ली में मुक्त कराया गया है। मुक्त कराए गए बच्चों में काउंसेलिंग के दौरान यह पता चला कि रेखा (काल्पनिक नाम) नाम की एक 12 वर्षीय बच्ची को उसके गांव के ही एक व्यक्ति ने अपहरण कर लिया था। एक वर्ष पहले दिल्ली लाकर एक साल तक दिल्ली के विभिन्न इलाकों की कोठियों में घरेलू कार्य के लिए लगाया। इसका बच्ची द्वारा विरोध करने पर उसे रेड लाइट एरिया में ले जाकर बेच दिया गया। वहां से एक दिन मौका देखकर वह खिड़की से कूदकर भाग निकली। एक ऑटो वाले की मदद से पुलिस स्टेशन पहुंच गई। पुलिस द्वारा झारखंड भवन से समन्वय स्थापित किया गया और बच्ची के घर का पता लगाया गया। बता दें कि रेखा की मां की मृत्यु हो चुकी है और पिता ने दूसरी शादी कर ली है। घर की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण गांव के एक व्यक्ति द्वारा जबरन उसे दिल्ली लाया गया था।
एकीकृत पुनर्वास संसाधन केंद्र चलाया जा रहा
मानव तस्करी पर झारखंड सरकार काफी संवेदनशील है, त्वरित कार्यवाही पर विश्वास रखती है। यही कारण दिल्ली में एकीकृत पुनर्वास संसाधन केंद्र चलाया जा रहा है। जिसका काम है मानव तस्करी के शिकार बच्चें एवं बच्चियों को मुक्त कराकर उनके जिलों में पुनर्वासित करना। इसका टोल फ्री नम्बर - 10582 है, जो 24 घंटे सातों दिन कार्य करता है। इसकी नोडल ऑफिसर नचिकेता ने बताया कि यह केंद्र दिल्ली में प्रधान स्थानिक आयुक्त मस्तराम मीना की देखरेख में एवं महिला एवं बाल विकास विभाग, झारखंड सरकार के अंतर्गत कार्य करती है। सचिव कृपानंद झा ने मानव तस्करी को लेकर सख्त निर्देश दिया है कि दिल्ली एवं उसके निकटवर्ती सीमा क्षेत्र पर विशेष नजर रखें। उसी क्रम में हमें इस बार बड़ी कामयाबी मिली। एकीकृत पुनर्वास-सह-संसाधन केंद्र, नई दिल्ली द्वारा लगातार दिल्ली के विभिन्न बालगृहों का भ्रमण कर मानव तस्करी के शिकार, भूले- भटके या किसी के बहकावे में फंसकर असुरक्षित पलायन कर चुके बच्चे, युवतियों को वापस भेजने की कार्रवाई की जा रही है। इसे लेकर दिल्ली पुलिस, बाल कल्याण समिति, नई दिल्ली एवं सीमावर्ती राज्यों की बाल कल्याण समिति से लगातार समन्वय स्थापित कर मानव तस्करी के शिकार लोगों की पहचान कर मुक्त कराया जा रहा है। उसके बाद मुक्त लोगों को सुरक्षित उनके गृह जिला भेजने का कार्य किया जा रहा है, जहां उनका पुनर्वास किया जा रहा है।
वापस पुनर्वास का दिया गया है आदेश
महिला एवं बाल विकास विभाग के निदेशक छवि रंजन ने सख्त निर्देश दिया है कि जिस जिले के बच्चे को दिल्ली में रेस्क्यू किया जाता है, उस जिले के जिला समाज कल्याण पदाधिकारी एवं बाल संरक्षण पदाधिकारी द्वारा उन्हें वापस उनके जिले में पुनर्वास करें। इसी कड़ी में साहिबगंज जिला प्रशासन द्वारा यह पता चलते ही कि उनके यहां के बच्चों की दिल्ली में रेस्क्यू की गई है तो जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी पूनम कुमारी के नेतृत्व में एक टीम गठित की गई। मालूम हो कि यह टीम पिछले 06 दिनों से दिल्ली में कैंप कर आज 14 बच्चों के साथ वापस ट्रेन द्वारा झारखंड लौट रही है। जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी ने इस संबंध में बताया कि सभी बच्चों को झारखंड सरकार की विभिन्न योजनाओं से जोड़ते हुए इनकी सतत निगरानी की जाएगी, ताकि ये बच्चे दोबारा मानव तस्करी का शिकार ना हों।
दलालों के माध्यम से हुए थे पलायन
दिल्ली से मुक्त कराए गए बच्चों को यहां दलालों के माध्यम से लाया गया था। झारखंड में ऐसे दलाल बहुत सक्रिय हैं, जो छोटी बच्चियों को बहला-फुसलाकर अच्छी जिंदगी जीने का लालच देकर दिल्ली लाते हैं और विभिन्न घरों में उन्हें काम पर लगाने के बहाने बेच देते हैं। इससे उन्हें तो एक मोटी रकम मिलती है मगर इन बच्चियों की जिंदगी नर्क से भी बदतर बन जाती है। बताते चलें कि दलालों के चंगुल में बच्चों को भेजने में उनके माता-पिता की भी अहम भूमिका होती है। कई बार ऐसा देखा गया है कि बच्चे अपने माता पिता, अपने रिश्तेदारों की सहमति से ही दलालों के चंगुल में फंसकर मानव तस्करी के शिकार बन जाते हैं।
VLCPC के माध्यम से होगी निगरानी
समाज कल्याण महिला बाल विकास विभाग के निर्देशानुसार झारखंड भेजे जा रहे बच्चों को जिले में संचालित कल्याणकारी योजनाओं, स्पॉन्सरशिप, फॉस्टरकेयर, कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय से जोड़ते हुए उनकी ग्राम बाल संरक्षण समिति (VLCPC) के माध्यम से सतत निगरानी की जाएगी। पुन: मानव तस्करी का शिकार होने से बचाया जा सके। एस्कॉर्ट टीम में एकीकृत पुनर्वास-सह- संसाधन केंद्र की परामर्शी निर्मला खलखो एवं कार्यालय सहायक राहुल कुमार ने अहम भूमिका निभाई।