द फॉलोअप डेस्क :
पीरियड्स के दौरान अक्सर देखा जाता है कि लड़कियों और महिलाओं को हर महीने दर्द और अन्य मानसिक समस्याओं से जूझना पड़ता है। विशेषज्ञों की मानें तो पीरियड्स के दौरान लड़कियां और महिलायें दर्द और तनाव से काफी परेशान रहती हैं, जिस कारण उस समय उन्हें समझने और उनसे बात करने की जरूरत होती है।
पीएमएस यानी प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम कुछ महिलाओं या लड़कियों में पीरियड्स के दौरान पाई जाती है। इसमें कई तरह के लक्षण होते हैं। इनमें मूड में बदलाव, खाने की लालसा, थकान, चिड़चिड़ापन और अवसाद शामिल हैं। यह अनुमान लगाया गया है कि प्रत्येक 4 में से 3 महिलायें अपने मासिक धर्म के दौरान किसी न किसी प्रकार के प्रीमेन्स्ट्रुअल सिंड्रोम का अनुभव करती हैं।
इसमें 2 तरह के लक्षण देखने को मिलते हैं। एक है प्रभावी शरीर और दूसरा है भौतिक शरीर। प्रभावी रूप में इन्हें चिड़चिड़ापन, गुस्सा, अकेले रहना, घबराहट और उदासी भरा माहौल नजर आता है। दैहिक शरीर में पेट दर्द, सिरदर्द, बदन दर्द, जोड़ों में दर्द, वजन बढ़ना आदि लक्षण दिखाई देते हैं। अगर इन लक्षणों पर ध्यान न दिया जाए तो इस दौरान लड़कियों और महिलाओं को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि पीरियड्स के दौरान लड़कियों और महिलाओं को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इस दौरान लड़कियां और महिलायें अच्छे माहौल का आनंद नहीं ले पाती हैं। पीरियड्स के दौरान लड़कियों और महिलाओं से ज्यादा से ज्यादा बात करने की जरूरत होती है। लड़कियों के पहले पीरियड्स के दौरान मांओं को उन पर ध्यान देना चाहिए। उनसे इस बारे में बात करनी चाहिए और उन्हें शरीर की इस सामान्य प्रक्रिया के बारे में समझाना चाहिए।