द फॉलोअप डेस्क
उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (UCC) पहली बार लागू की गई है, लेकिन इस पर कई सवाल खड़े हो गए हैं। इसके चलते वकीलों ने UCC के कुछ प्रावधानों को हाईकोर्ट में चुनौती दी। अब नैनीताल हाईकोर्ट की खंडपीठ ने UCC के शादी, तलाक और लिव-इन रिलेशनशिप से जुड़े प्रावधानों पर उत्तराखंड सरकार से 6 हफ्ते में जवाब मांगा है। याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि इस कानून ने मुस्लिम और पारसी समुदायों की विवाह व्यवस्था की अनदेखी की है। समान नागरिक संहिता, उत्तराखंड 2024 को जनहित याचिका के माध्यम से चुनौती दी गई है, जिसमें कहा गया है कि लिव-इन रिलेशनशिप, शादी और तलाक से जुड़े प्रावधान नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करते हैं। इस याचिका को एक वकील द्वारा दायर किया गया है, जिसमें UCC के पार्ट-1 में दिए गए शादी और तलाक के प्रावधान और पार्ट-3 में दिए गए लिव-इन रिलेशनशिप से जुड़े प्रावधानों को चुनौती दी गई है।
शादी के लिए साथी चुनने की स्वतंत्रता का उल्लंघन
याचिका में यह भी कहा गया है कि UCC ने महिलाओं से संबंधित असमानता वाले नागरिक मामलों पर अंकुश लगाया है। इसमें कई ऐसे प्रावधान हैं जो राज्य में नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करते हैं, जैसे निजता का अधिकार, जीवन जीने का अधिकार और विवाह में अपने साथी को चुनने की व्यक्तिगत स्वतंत्रता को सीमित करना। याचिका में आरोप लगाया गया है कि UCC के प्रावधान मुस्लिम समुदाय के लिए भेदभावपूर्ण हैं, क्योंकि यह उनके विवाह और तलाक से जुड़े पारंपरिक रीति-रिवाजों की अनदेखी करता है। आरोप यह भी है कि हिंदू मैरिज एक्ट के प्रावधानों को मुस्लिम और पारसी समुदाय पर लागू किया गया है, जो अनुचित है।
शादी के प्रतिबंधित रिश्तों पर सवाल
हिंदू मैरिज एक्ट के सेक्शन 3(1)(जी) के तहत कुछ रिश्तों में शादी पर प्रतिबंध लगाया गया है। याचिका में यह दलील दी गई है कि इन प्रतिबंधों को मुस्लिम और पारसी समुदाय पर भी लागू किया गया, जबकि इन समुदायों में इन रिश्तों में शादी की इजाजत है। लिव-इन रिलेशनशिप से जुड़े सेक्शन 4(बी) में कहा गया है कि केवल एक पुरुष और महिला, जो विवाह के रूप में एक ही घर में रहते हैं, उन्हें लिव-इन रिलेशनशिप के तहत मान्यता दी जाएगी। याचिका में यह दावा किया गया है कि इस प्रावधान का मतलब केवल "जैविक पुरुष या महिला" से ही है, जिससे LGBTQ समुदाय के व्यक्तियों के लिव-इन रिलेशनशिप के अधिकार प्रभावित हो सकते हैं, और यह उनके साथ अनुचित व्यवहार होगा।