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हैदराबाद ही क्यों ले जाए गये सत्तापक्ष के विधायक, हॉर्स ट्रेडिंग की थी आशंका!

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द फॉलोअप डेस्क, रांची:

सत्ताधारी विधायकों को हैदराबाद ले जाया गया। शुक्रवार दोपहर 35 विधायकों को चार्टेड विमान से हैदराबाद ले जाया गया। विधायक हैदराबाद में लियोनिया होलिस्टिक रिजॉर्ट में रूके हैं। गौरतलब है कि जिस वक्त नई सरकार का शपथ ग्रहण चल रहा था, उसी वक्त विधायक बस पर सवार होकर रांची एयरपोर्ट पहुंचे। ये सभी विधायक विधानसभा में फ्लोर टेस्ट के ठीक पहले वापस आएंगे। एयरपोर्ट पहुंचे विधायकों ने मीडिया से बातचीत में कहा कि राज्य को संवैधानिक संकट से बचाने के लिए हमने एक साथ एक जगह सुरक्षित जगह पर रहने का निर्णय लिया है।अब बड़ा सवाल यह है कि विधायकों को हैदराबाद ही क्यों ले जाया गया है? दरअसल, झारखंड में हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी और इस्तीफे के बाद अब राज्य में पिछले तकरीबन 24 घंटे से कोई सरकार नहीं थी। चंपई सोरेन ने आज झारखंड के मुख्यमंत्री पद का शपथ लिया है।

तेलंगाना में कांग्रेस पार्टी की सरकार है
विधायकों को हैदराबाद ले जाया गया है जो तेलंगाना में है। तेलंगाना में अभी कांग्रेस पार्टी की सरकार है। कांग्रेस झारखंड में महागठबंधन का घटक दल है। ऐसे में तेलंगाना में विधायकों को रखना सबसे सुरक्षित साबित होगा। वहां चूंकि कांग्रेस की सरकार है इसलिए विधायक प्रशासनिक निगरानी में रहेंगे और उनकी खरीद-फरोख्त की संभावना भी नहीं रहेगी। बता दें कि इससे पहले जब जून 2022 में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से जुड़े खनन पट्टा लीज मामले में कथित तौर पर केंद्रीय निर्वाचन आयोग से एक लिफाफा राजभवन भेजे जाने की खबर सामने आई थी तो विधायकों को पहले लतरातू डैम और फिर छत्तीसगढ़ के एक रिसॉर्ट में ले जाकर रखा गया था। छत्तीसगढ़ में तब भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेस पार्टी की सरकार थी। 

संख्याबल के हिसाब से कैसे हैं सियासी हालात
झारखंड में संख्याबल के लिहाज से ताजा सियासी हालात की बात करें तो चंपई सोरेन द्वारा राज्यपाल को सौंपे समर्थन पत्र के मुताबिक उनके पास 47 विधायकों का समर्थन है। समर्थन पत्र पर 43 विधायकों का हस्ताक्षर है। 81 विधानसभा सीटों वाले झारखंड विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 41 है। मौजूदा समय में महागठबंधन के पास बहुमत से 6 विधायक ज्यादा हैं। वहीं विपक्षी एनडीए के पास 32 विधायक है। बीजेपी के 26 विधायक हैं। आजसू पार्टी के 3 विधायक हैं। एनसीपी के 1 और अन्य 2 विधायक हैं। मतलब हुआ कि यदि बीजेपी यहां सरकार गठन का इरादा रखती है तो उसे 10 विधायक और चाहिए। अक्सर यहीं खरीद-फरोख्त की आशंका बनती है। यही वजह है कि सत्तापक्ष ने अपने विधायकों को हैदराबाद शिफ्ट करने का फैसला किया है। बता दें कि महागठबंधन के पास सरकार बनाने के लिए पर्याप्त संख्याबल है। चंपई सोरेन 5-6 फरवरी को होने वाले विधानसभा के विशेष सत्र में विधायकों को परेड कराएंगे।