रांची
झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय प्रवक्ता धीरज दुबे ने कहा कि झारखंड की जिस विधानसभा सीट पर बीजेपी के विधायक काबिज हैं वहां जनता परिवर्तन करने का मिजाज बना चुकी है। धार्मिक धुर्वीकरण और हिंदू मुसलमान के आधार पर लोगों को बरगलाकर चुनाव जीतने वाले ज्यादातर बीजेपी विधायक अपने क्षेत्र में निष्क्रिय रहे हैं। मोदी और पार्टी के नाम पर चुनाव जीतकर तो विधानसभा पहुंच गए परंतु पूरे कार्यकाल में जनता के सुख-दुख से कोई लेना देना नहीं रहा। क्षेत्र की समस्याओं का निदान तो दूर ज्यादातर बीजेपी विधायकों ने विधायक कोटे की राशि का भी दुरुपयोग कर सिर्फ निजी हित साधने का काम किया है। उन्हें इस बात का भ्रम हो गया है कि जनता उनके बड़े नेताओं के नाम पर उन्हें वोट दे देगी।
झारखंड विधानसभा में पारित 1932 का खतियान, पिछड़ी जाति के लिए 27% आरक्षण एवं आदिवासियों के लिए पारित सरना धर्म कोड पर किसी बीजेपी विधायक या सांसदों ने केंद्र सरकार को आगाह करने का काम नहीं किया। यहां तक की झारखंड के 8 लाख लाभुकों का बकाया प्रधानमंत्री आवास का पैसा, रॉयल्टी का बकाया 1 लाख 36 हजार करोड़ रुपए मांगने की हिम्मत भी किसी ने नहीं दिखाई। चुनाव में टिकट कटने के डर से बीजेपी के विधायक और सांसदों ने झारखंड की जनता के अहित पर भी चुप्पी साधे रहे।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्य के किसानों का 2 लाख तक का कर्ज माफ कर दिया, 200 यूनिट तक बिजली बिल एवं बकाया बिल भी माफ कर दिया, यूनिवर्सल पेंशन योजना, किशोरी समृद्धि योजना एवं मईयां सम्मान योजना के माध्यम से राज्य सरकार महिलाओं को सशक्त करने का काम कर रही है तो बीजेपी के लोगों को पेट में दर्द हो रहा है और ऐसे कल्याणकारी योजना को बंद करने के लिए उच्च न्यायालय में पीआईएल दाखिल करवा दे रहे हैं। बीजेपी के विधायक जनहित में खुद कुछ नहीं करते बल्कि राज्य सरकार द्वारा की जा रही कल्याणकारी कामों को भी रोकने का भरपूर प्रयास करवाते रहते हैं।