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Ranchi : वज्रपात से बचने के लिए क्या करना चाहिए और क्या नहीं जानिए

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रांचीः
झारखंड में एक गांव ऐसा भी है जहां बिजली कड़कती है तो लोग सहम जाते हैं। वज्रपात ने इस गांव में इतनी तबाही मचाई है कि इस गांव का नाम ही वज्रमरा पड़ गया है। पूरे देश का यह अकेला ऐसा गांव है, जहां पूरे साल में 500 से भी ज्यादा बार आसमानी बिजली गिरती है। इस गांव का शायद ही कोई ऐसा परिवार है, जिसने वज्रपात की वजह से नुकसान ना उठाया हो। यह गांव रांची के नामकुम प्रखंड के में है। रांची का पिठौरिया गांव भी आसमानी बिजली गिरने से त्रस्त है। पिठौरिया गांव में स्थित एक प्राचीन किले में प्रत्येक साल कई बार आसमानी बिजली गिरती है। अब तो भारतीय मौसम विभाग ने भी वज्रपात के खतरों को लेकर देश के जिन 6 राज्यों को सबसे संवेदनशील बताया है, उनमें से झारखंड भी एक है।

 
कैसे बचें वज्रपात से 
आसमानी बिजली झारखंड के लिए एक बड़ी आपदा है। बीते शनिवार को ही बोकारो के एक स्कूल में अचानक वज्रपात से 50 बच्चे घायल हो गये। खैर अच्छी बात यह रही कि कोई हताहत नहीं हुआ। सभी बच्चे ठीक हैं। इस वीडियो को बनाने के पीछे का मकसद ये है कि हम आपको बता सकें कि किन बातों का ध्यान रखकर वज्रपात से बचाव किया जा सकता है। नंबर वन- बारिश के समय घर से बाहर निकलने से बचना चाहिए। नंबर 2 और सबसे अहम वज्रपात के दौरान पेड़ों के नीचे नहीं रहना चाहिए ये सबसे अधिक खतरनाक होता है। वज्रपात के दौरान अगर किसी सुरक्षित स्थान पर नहीं जा पा रहे हैं, तो पैरों के नीचे सूखी चीजें जैसे लकड़ी, प्लास्टिक और बोरा जैसी कोई एक चीज अपने पैरों के नीचे रख लेना चाहिए। ऐसे समय में दोनों पैरों को आपस में सटा लेना चाहिए, दोनों हाथों को घुटने पर रखकर अपने सिर को जमीन की ओर झुका लेना चाहिए। याद रहे कि सिर जमीन पर ना सटे और ना ही आप जमीन पर लेटें। इस दौरान आप पानी की मेटल पाइपलाइन से दूर रहें।  


कैसे सुरक्षित रहे 
घर के खिड़कियां, दरवाजे बंद रखें. दरवाजे और मेटल की चीजों के पास खड़े ना हों। अगर किसी पानी वाली जगह हैं तो तुरंत बाहर निकलने की कोशिश करें। पानी में छोटी नाव, स्विमिंग पूल, झील, नदी या जल के किसी भी अन्य स्रोत में नाव आदि पर सवार हैं तो तुरंत वहां से निकल जाएं। बच्चों को बिजली के किसी भी उपकरण से दूर रखें। मोबाइल चार्ज या किसी अन्य उपकरण को प्लग करने के साथ उसका इस्तेमाल बिल्कुल न करें। ज्यादा देर तक बिजली कड़कती है तो स्थानीय राहत और बचाव एजेंसी से संपर्क साध सकते हैं। अगर बिजली चली भी जाए तो भी इलेक्ट्रिक उपकरणों या स्विच को बार-बार न छुएं। बिजली के खंभों और टॉवरों से दूरी बरतें। वाहनों से निकल कर तुरंत सुरक्षित स्थानों पर चले जाएं। 

 


क्यों झारखंड में होता है इतना अधिक वज्रपात 
वज्रपात, झारखंड के लिए एक बड़ी प्राकृतिक आपदा है। मौसम विभाग का आंकड़ा बताता है कि साल 2021-22 में झारखंड में वज्रपात की 4 लाख 39 हजार 828 घटनाएं हुईं। इसके पहले  2020-21 में झारखंड में लगभग साढ़े 4 लाख बार वज्रपात हुआ। वहीं, मध्य प्रदेश ऐसा राज्य है जहां देश में सर्वाधिक वज्रपात होता है। बीते वर्ष यहां साढ़े 6 लाख से अधिक बार बिजली गिरी थी। छत्तीसगढ़ में साढ़े पांच लाख, ओडिशा में पांच लाख 30 हजार वहीं पश्चिम बंगाल में 5 लाख 1 हजार बार वज्रपात हुआ। 
पिछले 12 सालों की बात करें तो राज्य में 24 सौ लोगों की मौत सिर्फ वज्रपात से हुई है। हालांकि इस दिशा में आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से तमाम प्रयास किये जाते हैं. बावजूद इसके जान जाने का सिलसिला जारी है. जानकारों के मुताबिक पठारी क्षेत्र होने के कारण यहां भू- गर्भ में हेमेटाइट, बॉक्साइट और यूरेनियम जैसे खनिज मौजूद हैं. इनकी वजह से आसमानी बिजली जमीन की ओर आकर्षित होती है. और जान-माल का नुकसान पहुंचाती है.