रांची
झारखंड में जल्दी ही पेसा नियमावली लागू हो सकती है। मिली खबर के अनुसार अब इसे कैबिनेट में भेजने की तैयारी चल रही है। राज्य के सीनियर वकीलों से भी सलाह ली जा चुकी है और अब इसे अंतिम रूप दिया जा रहा है। पंचायती राज विभाग की निदेशक निशा उरांव ने इसकी जानकारी दे दी है। इस बीच "JPRA 2001," "पी-पेसा," और "पेसा कानून 1996" के मुद्दों पर बहस हो रही है कि ये क्या हैं। इस संदर्भ में, पहली बार एक मंच पर विशेषज्ञों और याचिकाकर्ताओं का जमावड़ा कल होने जा रहा है। जमावड़ा रांची के एसडीसी सभागार में लगेगा। इस विशेष कार्यक्रम में, अनुसूचित क्षेत्र, पांचवीं अनुसूची और पेसा कानून के विषय पर गहराई से चर्चा की जाएगी।
इन विशेषज्ञों को किया गया है आमंत्रित-
रोबर्ट मिंज (पूर्व IFS अधिकारी एवं याचिकाकर्ता)
वाल्टर कंडुलना (पेसा विशेषज्ञ एवं याचिकाकर्ता)
प्रेमचंद मुर्मू (बुद्धिजीवी एवं याचिकाकर्ता)
डा. रामचन्द्र उरांव (कानूनविद)
लक्ष्मीनारायण मुंडा (सक्रिय वक्ता एवं एक्टिविस्ट)
कलावती खड़िया (पारंपरिक अगुआ)
ग्लैडसन डुंगडुंग (सक्रिय शोधकर्ता, लेखक एवं प्रखर वक्ता)
डा. जोसेफ बाड़ा (इतिहासकार)
दुर्गावती ओड़ेया (पारंपरिक अगुआ)
दीपक बाड़ा (फिल्म निर्माता)
मेरी क्लोडिया सोरेंग (एक्टिविस्ट)
एलिन लकड़ा (एक्टिविस्ट)
इसके अलावा, "पी-पेसा" के विक्टर माल्तो, "जेपीआरए 2001" के समर्थक विजय कुजूर, और अन्य कई विशेषज्ञ भी कार्यक्रम में आमंत्रित हैं। इस कार्यक्रम में आम जन को भी राय देने के लिए आमंत्रित किया गया है।