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चडरी का यह तिंरगा हनुमान झंडा लोगों को करता है आकर्षित, सालों से चली आ रही परंपरा

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द फॉलोअप डेस्कः 
चडरी सरना समिति की तरफ से समिति अध्यक्ष सबलू मुंडा के अगुवाई में हर साल जुलूस निकाला जाता है। इस जुलूस का मुख्य आकर्षण का केंद्र होता है तिंरगा हनुमान झंडा। तिरंगे के बीच में हनुमान जी का प्रतीक लगाया जाता है उसके साथ ही चरखा होता है। कल तिंरगा हनुमान झंडा चडरी से तपोवन मंदिर ले जाया गया। चडरी सरना समिति के मुख्य सलाहकार कुमोद कुमार वर्मा ने कहा कि देश आजादी के पहले से तिंरगा झंडा चलते आ रहा है। देश की आजादी में चडरी ग्राम के लोगों की अहम भूमिका थी। देश की आजादी में चडरी ग्राम के आदिवासी एवं सदान साथ मिलकर चले थे और आज भी चल रहे हैं। चडरी सरना समिति का इस तिंरगा झंडा का मतलब एक तरफ राष्ट्र प्रेम का प्रतीक है। दूसरी तरफ स्वतंत्रता सेनानी का प्रतीक है (चरखा) तीसरा धर्म का प्रतीक बजरंगबली की प्रतिमा है। 


आगे भी कायम रहेगी यह व्यवस्था 
चडरी सरना समिति के अध्यक्ष सबलू मुंडा ने कहते हैं कि मुझे गर्व होता है श्री रामनवमी का तिरंगा झंडा तपोवन मंदिर ले जाने में। चडरी सरना समिति अपने पुरखों के दिए व्यवस्था पर अभी तक कायम है और आगे भी कायम रहेंगे। आदिवासी एवं सदान मिलकर हर पर्व त्योहार मनाते रहेंगे। आने वाले पीढ़ी को भी अपने पूर्वजों द्वारा दी गई व्यवस्था को बरकरार रखने की जरूरत है। रामनवमी शोभायात्रा का शुरुआत 1929 में हुई थी।