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कांग्रेस कोटे के मंत्रियों के कामकाज का होगा सोशल ऑडिट, खराब प्रदर्शन होने पर हो सकते हैं मंत्रिमंडल से आउट 

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द फॉलोअप डेस्कः
झारखंड सरकार में कांग्रेस कोटे के मंत्रियों के काम का आंतरिक मूल्यांकन किया जाएगा। पार्टी जिला, प्रखंड और पंचायत स्तर तक उन मंत्रियों द्वारा संभाले गए विभागों से संबंधित योजनाओं की स्थिति का विश्लेषण करेगी। इस रिपोर्ट के आधार पर मंत्रियों के प्रदर्शन का मूल्यांकन किया जाएगा। जिन मंत्रियों का काम संतोषजनक रहेगा, उन्हें सरकार में बनाए रखा जाएगा, जबकि जिनकी कार्यप्रणाली सही नहीं पाई जाएगी, उन्हें बदला जा सकता है। कांग्रेस नेतृत्व ने मंत्रियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं। उन्हें कहा गया है कि वे अपने कार्यों पर पूरी तरह ध्यान केंद्रित करें और जो विभाग उन्हें सौंपे गए हैं, उनमें बेहतर प्रदर्शन करें। मंत्रियों को हर महीने अपनी कार्यप्रगति की रिपोर्ट तैयार करनी होगी। उनके काम का मूल्यांकन छह महीने या एक साल के कार्यकाल के आधार पर किया जाएगा। इसके साथ ही पार्टी और मंत्रियों को यह भी समझाया गया है कि कांग्रेस सरकार में केवल पिछलग्गू के रूप में नहीं, बल्कि सक्रिय सहयोगी के तौर पर काम करे।


आलाकमान ने कहा है कि सरकार में जितनी बाकी घटक दलों की भागीदार में है उतनी ही भागीदारी कांग्रेस की भी है। सरकार ने चुनाव के पूर्व साझा घोषणा पत्र सात गांरटी जारी किया था। यह पूरे गठबंधन सरकार की गारंटी और निश्चय है। उसे एक-एक कर पूरा करें और इसमें अपनी ओर से सहयोग करें। कांग्रेस आलाकमान ने मंत्रियों के अलावा विधायकों को भी जिम्मेदारी दी है कि संगठन और कार्यकर्ताओं को सम्मान दें। उनके काम में मदद करें। कार्यकर्ताओं की मेहनत की वजह से वे जीत कर आए हैं। सरकार की योजनाओं को विधायक-कार्यकर्ताओं के माध्यम से जन-जन तक पहुंचा सकेंगे।


झारखंड के विधानसभा चुनाव में जेएमएम और कांग्रेस गठबंधन का प्रदर्शन बहुत बेहतरीन रहा। वैसे, कांग्रेस की स्थिति झारखंड में तो बढ़िया है, लेकिन देशभर में पार्टी अपनी पकड़ खोती जा रही है। इसका सटीक और हालिया उदाहरण दिल्ली का विधानसभा चुनाव है, वही दिल्ली जहां पर कांग्रेस ने 15 सालों तक एकछत्र राज किया, लेकिन आज स्थिति ये है कि पार्टी का जनाधार ज़ीरो है, लिहाज़ा चुनाव में भी वह दोबारा से ज़ीरो पर आउट हो गयी। इसलिये कांग्रेस ने फैसला किया है कि जिन राज्यों में उसका जनाधार स्ट्रांग है, कम से कम वहां अपनी पकड़ और मजबूत बनानी है। इसी कड़ी में अब कांग्रेस अपने विधायक मंत्रियों के ज़रिये अब खुद की लोकतांत्रिक छवि को और बेहतर प्रदर्शित करने की दिशा में अग्रसर है।


कांग्रेस इस कार्यकाल में फ्रंटफुट पर रहना चाहती है, जेएमएम के साथ कदम से कदम मिलाकर चलना चाहती है, लेकिन इस रास्ते में कांग्रेस के ही कुछ नेता मंत्री अड़चन बन रहे हैं, जिसको अब पार्टी कतई स्वीकार करने के मूड में नहीं है। अब आने वाले समय में वैसे मंत्रियों के खिलाफ भी पार्टी कार्रवाई कर सकती है, जिसकी पूरी संभावना है। मंत्रियों के अलावा, विधायकों के काम काज का भी आकलन किया जायेगा, उनकी भी रिपोर्ट कार्ड तलब की जायेगी, जिसके आधार पर उनका नाम मंत्री पद के लिये आगे होता चला जायेगा। लिहाज़ा विधायकों को भी संगठन और कार्यकर्ताओं के साथ सामंजस्य बैठाकर और सम्मान के साथ पेश आने को कहा गया है।