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झारखंड गठन के 23 साल बाद भी साहिबगंज के पंडरिया गांव में सड़क नहीं, खाट पर ढोते हैं मरीज

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साहिबगंज:

झारखंड गठन के 2 दशक बाद भी साहिबगंज के एक गांव में सड़क नहीं है। ग्रामीणों को प्रखंड मुख्यालय जाने के लिए कीचड़ से भरी कच्ची पगडंडी का सहारा है। मानसून में तकरीबन 4 महीने यह गांव टापू बन जाता है। सड़क नहीं होने की वजह से बच्चे स्कूल नहीं जा पाते। मरीजों और गर्भवती महिलाओं को अस्पताल पहुंचाना मुश्किल हो जाता है। ग्रामीण रोजमर्रा की जरूरतों के लिए बाजार नहीं जा पाते। यह मामला झारखंड के संताल परगना के साहिबगंज जिला अंतर्गत बोरियो प्रखंड के बिजपुरा पंचायत स्थित पंडरिया गांव का है। दशकों से इस गांव में सड़क नहीं है। लोगों को परेशानी हो रही है। 

सड़क बनाने की मांग लेकर डीसी ऑफिस पहुंचे ग्रामीण
बोरियो प्रखंड अंतर्गत बिजपुरा पंचायत के पंडरिया गांव में सड़क नहीं होने का मामला तब प्रकाश में आया जब दर्जनों की संख्या में ग्रामीण पक्की सड़क की मांग लेकर उपायुक्त रामनिवास यादव के पास पहुंचे। ग्रामीणों ने बताया कि प्रखंड मुख्यालय तक जाने के लिए उन्हें पंडरिया से पहले चपागामा जाना होता है लेकिन वहां पक्की सड़क नहीं है।

ग्रामीण खेतों के बीच बनी कच्ची पगडंडी के सहारे आवागमन करते हैं। बारिश के मौसम में पगडंडी कीचड़युक्त और फिसलन भरी हो जाती है। ऐसे में ना केवल दुर्घटना बल्कि सांप-बिच्छु जैसे सरीसृपों का भी खतरा रहता है। मरीजों को खटिया में टांगकर अस्पताल ले जाना पड़ता है। ग्रामीणों ने बताया कि सड़क के अभाव में समय पर इलाज नहीं मिलने की वजह से कई मरीजों ने जान गंवा दी। 

पंडरिया गांव में कोई नहीं कराना चाहता बेटे-बेटियों की शादी
डीसी से मिलने पहुंचे ग्रामीणों ने बताया कि सड़क नहीं होने की वजह से रिश्तेदार गांव में आने से कतराते हैं। कोई यहां अपनी बेटे या बेटी की शादी नहीं कराना चाहता। बिजपुरा पंचायत, बोरियो विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है। यहां, झारखंड मुक्ति मोर्चा के लोबिन हेम्ब्रम विधायक हैं।

ग्रामीणों ने बताया कि उन्होंने कई बार स्थानीय प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से सड़क की मांग की है लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। ग्रामीणों ने उपायुक्त से अविलंब पक्की सड़क निर्माण की मांग की है।