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एक पुलिया के लिए सालों से तरस रहे सिमडेगा के इस गांव के ग्रामीण, चचरी पुल के भरोसे जीवन

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अमन मिश्रा,सिमडेगाः
भारत भले ही विकसित भारत का सपना देख रहा हो लेकिन सिमडेगा के कई ऐसे गांव है जो आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। लोकसभा चुनाव चल रहा है नेता बड़े-बड़े चुनावी वादे कर रहे हैं लेकिन कई ऐसे गांव है जहां पर आज तक विकास की किरण नहीं पहुंची है। लोग आज भी अपने उसी गुमनामी के अंधेरे में जीने को विवश है। सिमडेगा-रांची मुख्य मार्ग  नेशनल हाईवे से महज कुछ किलोमीटर पर सिमडेगा जिले के आरानी पंचायत के घरनाटुकु गांव है। इस गांव में आने-जाने के लिए सड़क नहीं होने की वजह से लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। यहां बारिश के दिनों में दो नाले में पुलिया नहीं होने की वजह से स्कूल आने जाने में परेशानी होती है। कई बार लिखित शिकायत के बावजूद आज तक गांव में पुलिया नहीं बनी। 


चचरी पुल के भरोसे जीवन
अंत में ग्रामीणों ने लकड़ी का पुलिया बनाया और आवागमन शुरू की। हालांकि इस पुलिया पर सिर्फ पैदल आवागमन कर सकते हैं। इसके अलावा गांव में जाने के लिए किसी प्रकार का कोई भी साधन नहीं है। 


कुआ का गंदा पानी पीने पर विवश है ग्रामीण
ग्रामीणों ने बताया कि आज तक गांव में पीने के पानी को सुविधा बहाल नहीं हो पायी है। इस वजह से खेत में बने कुआ का गंदा पानी पीने पर विवश है। सभी क्षेत्रों में जल मीनार लगाने का काम चल रहा है लेकिन इस गांव के लिए किसी ने आज तक जहमत नहीं उठाई कि यहां के लोगों को शुद्ध पानी मिल सके और गांव वाले आज भी इस गंदा पानी पीकर अपनी प्यास बुझाते हैं  


प्रशासन से शिकायत करने पर भी नहीं हुई सुनवाई:- ग्रामीण
गांव के एक युवक ने कहा कि प्रशासन गांवों में ध्यान नहीं दे रही है। बीमार होने पर ग्रामीणों को ढोकर रोड तक लाना पड़ता है। जिसके बाद यहां से अस्पताल पर जाना पड़ता है। प्रशासन से कई बार शिकायत किया गया लेकिन इस मामले में किसी प्रकार की सुनवाई नहीं हुई। 

खाट पर टिकी स्वास्थ्य सेवाएं: गांव में नहीं पहुंचती एंबुलेंस..
गांव में गर्भवती महिलाओं को खाट के सहारे ढोकर उन्हें रोड तक लाया जाता है। जिसके बाद यहां से निजी वाहन करते हुए उन्हें अस्पताल पहुंचाया जाता है। कई बार ऐसे में मरीजों की जान जोखिम में आ जाती है। ग्रामीणों  ने पुलिया, पीने , बिजली, बहाल करने की मांग की है। बरहाल जो भी हो गांव में  इस प्रकार से 22वीं सदी में अंधेरे में रहना और गांव में आज भी अगर पुलिया नहीं होना यह दर्शाता है कि नेता और चुनाव भले ही जनता के लिए है लेकिन जनता तक इसका लाभ सही तरीके से नहीं पहुंच रहा है।

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