सिमडेगाः
"सबका साथ सबका विकास" "जो कहते हैं वह करते हैं" "आपकी योजना आपकी सरकार आपके द्वार" यह सब जुमलेबाजी केवल पोस्टर ओं में ही अच्छी लगती है। क्योंकि जो दुर्दशा ग्रमीण क्षेत्रों की है उसे देखकर तो ऐसा ही लगता है कि विकास केवल पोस्टर तक ही सीमित रह गया है। धरातल पर तो ना अच्छी स्वास्थ्य व्यवस्था दिखाई पड़ती है, ना अच्छी शिक्षा व्यवस्था और ना ही ग्रमीणों को मूलभूत सुविधाएं मिल पा रही है। एक तरफ झारखंड में हर प्रखंड में सरकार आपके द्वार कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है तो वहीं दूसरी ओर बीमार पड़ने पर खटिया पर ढोया जा रहा है तो कभी कुर्सी पर। ग्रामीणों को मरीज को कुर्सी पर बिठा कर नदी पार करना पड़ रहा है। यह कैसा विकास है।
क्या है मामला
मामला कोलेबिरा प्रखंड के बरसलोया पंचायत के बरटोली गांव का है। जहां मंगलवार की देर रात एक मरीज तारावती देवी की तबीयत अचानक खराब हो गई। परिजनों ने महिला को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाने के लिए गाड़ी की व्यवस्था की। लेकिन रास्ते में नदी होने के कारण गाड़ी गांव तक नहीं पहुंच सकी। इसलिए मरीज को कुर्सी में बिठाकर नदी पार कराया गया और तब गाड़ी तक पहुंचाया गया। महिला को कोलेबिरा सीएससी में भर्ती कराया गया।
महिला की स्थिति फिलहाल ठीक है लेकिन आप सोचिए अगर थोड़ी थोड़ा समय और लग जाता नदी को पार करने में महिला की क्या स्थिति होती। यह गांव तीन तरफ से नदी और एक तरफ से पहाड़ से घिरा हुआ है। यहां के लोग काफी मुश्किलों का सामना कर मुख्य सड़क से अपना संपर्क जोड़ पाते हैं। क्षेत्र के ग्रामीणों ने कई बार विधायक सांसद और जिला प्रशासन को आवेदन देकर पुल बनाने की मांग की है लेकिन इस ओर किसी का ध्यान नहीं जाता है