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सीएम हेमंत सोरेन से मिलेगा सचिवालय सेवा संघ, नये अनुदेश को लेकर होगी चर्चा

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द फॉलोअप डेस्क
नये सचिवाल अनुदेश को लेकर झारखंड सचिवालय सेवा संघ में भारी असंतोष है। संघ ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के सामने विस्तार से अपनी मांगों को रखने का फैसला किया है। मुख्यमंत्री से सचिवालय अनुदेश में किए जा रहे परिवर्तन पर विरोध दर्ज कराने का भी निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री को प्रेषित किए जानेवाले मांग पत्र को तैयार कर लिया गया है। उसमें कहा गया है कि राज्य सरकार के कार्मिक एवं प्रशासनिक सुधार विभाग ने नया सचिवालय अनुदेश तैयार करने का प्रस्ताव गठित किया है जो सचिवालय अनुदेश 1952 का स्थान लेगा। यह सच है कि 1952 का सचिवालय अनुदेश काफी पुराना है। इसके कई प्रावधान समय के साथ बदलते नियमों के आलोक में अप्रासंगिक हो गए हैं। इसलिए वर्तमान अनुदेश में संशोधन का संघ स्वागत करता है। लेकिन कार्यालय संचालन के साथ साथ राज्य के विकास में महत्वपूर्ण स्थान रखनेवाले इस सचिवालय अनुदेश में किए जानेवाले बदलाव के प्रारूप को वेबसाइट पर जारी क स्टेक होल्डरों के विचारों को जानने की कोशिश की जानी चाहिए। इसलिए नये सचिवालय अनुदेश के गठन पर केवल एक विभाग द्वारा पूर्ण निर्णय न लेते हुए इसके लिए एक अंतरर्विभागीय उच्चस्तरीय कमेटी का गठन किया जाना चाहिए।


सचिवालय अनुदेश में परिवर्तन से सबसे अधिक प्रभावित सचिवालय सेवा के अधिकारी होते हैं। इसलिए झारखंड सचिवालय सेवा को भी उच्चस्तरीय समिति में शामिल किया जाना चाहिए। संघ को यह भी जानकारी मिली है कि नये सचिवालय अनुदेश का निर्माण सेंट्रल सेक्रेट्रिएट मैन्युअल ऑफ प्रोसिज्योर 2022 के आधार पर किया जा रहा है। जिसमें ई-ऑफिस प्रणाली हेतु आवश्यक नियमों का भी समावेश किया जा रहा है। इसलिए जब राज्य के सचिवालयों में केंद्रीय सचिवालय के अनुरूप कार्य प्रणाली लागू करने की तैयारी हो रही है तब यह आवश्यक है कि राज्य के सचिवालयों में कार्य बल और पद संरचना भी पूर्ण रूप से केंद्रीय सचिवालय के अनुरूप हो। 21 नवंबर 1997 को राज्य सरकार एवं सचिवालय में कार्यरत कर्मचारी प्रतिनिधियों के बीच अंतरिम राहत एवं वेतन पुनरीक्षण संबंधी समझौते में केंद्र के अनुरूप सेवा शर्तों का निर्धारण करने पर सहमति है।

फिटमेंट कमेटी की अनुशंसा पूर्ण रूपेण लागू नहीं 
फिर फिटमेंट कमेटी के गठन हेतु निर्गत संकल्प में भी केंद्रीय सेवा शर्तों के साथ केंद्रीय वेतनमान एवं भत्ते व सुविधाएं स्वीकृत करने की सैद्धांतिक सहमति है। वित्त विभाग के संकल्प द्वारा उक्त फिटमेंट कमेटी की अनुशंसा के अनुरूप केंद्रीय वेतनमान स्वीकृत किया गया है।
इतना ही नहीं फिटमेंट कमेटी की अनुशंसाओं में त्रुटि के निराकरण के लिए हाईकोर्ट के जस्टिस आफताब आलम की अध्यक्षता में फिटमेंट अपीलीय कमेटी का गठन किया गया। फिर केंद्र के अनुरूप सेवा शर्त निर्धारण समझौता होने के लगभग 13 वर्ष बाद केंद्रीय सचिवालय के अनुरूप झारखंड सचिवालय सेवा के गटन हेतु सचिवालय सेवा नियमावली 2010 गठित की गयी। लेकिन इसका पूर्ण लाभ अब तक झारखंड सचिवालय सेवा के पदाधिकारियों को नहीं मिला।


कुछ प्रमुख बिंदू
केंद्रीय सचिवालय में अवर सचिव के सभी पद (तकनीकी पदों के अतिरिक्त) केंद्रीय सचिवालय सेवा से है। जबकि झारखंड सिवालय सेवा में अब तक ऐसा नहीं किया जा सका है।


फील्ड अनुभव तथा सचिवालय के अनुभव को संतुलित रखने के उद्देश्य से केंद्रीय सचिवालय में उप सचिव एवं निदेशक स्तर के 50 फीसदी पद केंद्रीय सचिवालय सेवा के लिए कर्णांकित है। जबकि झारखंड सचिवालय में इस दिशा में अब तक कोई काम नहीं हुआ है।


सचिवालय सेवा और झारखंड प्रशासनिक सेवा के पदों के अवलोकन से यह स्पष्ट होता है कि केंद्रीय सचिवालय केक अनुरूप राज्य सचिवालय सेवा के पदाधिकारियों के लिए अवर सचिव, उप सचिव और संयुक्त सचिव के पदों का सृजन एवं कर्णांकन अभी तक नहीं हो पाया है।


उपरोक्त से यह भी स्पष्ट होता है कि सचिवालय में एक सेवा विशेष के लिए बहुतायत मात्रा में पदों का सृजन किया गया। जबकि सचिवालय सेवा के उप सचिव एवं संयुक्त सचिव के पदों के सृजन का प्रस्ताव अनुमोदन के उपरांत लगभग 10 वर्षों से लंबित है।


प्रोन्नति का लाभ देने की मांग
झारखंड सचिवालय सेवा संघ का कहना है कि प्रोन्नति किसी भी सेवा के लिए सेवा शर्त का प्रमुख अंग है। प्रोन्नति के लिए आवश्यक पदों को केंद्र के अनुरूप कर्णांकित या सृजित नहीं करके तथा आवश्यक होने पर भी सचिवालय सेवा के स्थान पर एक सेवा विशेष के ही पदों का सृजन करके सचिवालय सेवा के पदाधिकारियों की प्रोन्नति के अवसरों  से वंचित किया जा रहा है। संघ 4 अप्रैल 2004 को कार्मिक विभाग द्वारा जारी संकल्प के अनुसार प्रशाखा पदाधिकारी के पदों पर भूतलक्षी प्रभाव से प्रोन्नति एवं तत्संगत अन्य लाभ प्रदान किए जाने की मांग करता आ रहा है। संघ का कहना है कि पूरे मामले पर समेकित रूप से विचार करने के बाद ही नया सचिवालय अनुदेश को राज्य में लागू किया जाना चाहिए।

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