द फॉलोअप डेस्क, रांची:
झारखंड हाईकोर्ट में आज आयुष्मान भारत योजना में गड़बड़ियों को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद और जस्टिस एके राय की बेंच में मामले की सुनवाई हुई। कोर्ट ने इस मामले में 18 जुलाई को हेल्थ सेक्रेटरी को कोर्ट में मौजूद रहने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि, सरकार बताए कि आयुष्मान भारत योजना के तहत किसी व्यक्ति के इलाज हुआ है या नहीं, ये जानने का विभाग का पास क्या तरीका है? कोर्ट ने कहा कि सरकार ये भी बताये कि आयुष्मान भारत योजना के तहत किसी व्यक्ति के इलाज के बाद निजी हॉस्पिटल जो बिल पेश करते हैं, उसकी जांच कैसी की जाती है?
जेनेटिक हॉस्पिटल महिला बंधक मामले में ये कहा
इस बीच हाईकोर्ट ने रांची के बरियातू स्थित जेनेटिक सुपर-स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में एक महिला को बंधक बनाए जाने की घटना पर संज्ञान लेते हुए कहा कि, सरकार की नाक की नीचे ऐसा कैसे हुआ, इसका जवाब दें। हाईकोर्ट ने सरकार को आदेश दिया है कि वो जेनेटिक हॉस्पिटल में महिला को बंधक बनाये जाने के मामले में पूरी बात कोर्ट के समक्ष रखें। हाईकोर्ट ने सरकार से रांची जिला में मौजूद सभी अस्पतालों का ब्योरा मांगा है। हाईकोर्ट ने कहा कि, हेल्थ सेक्रेटरी कोर्ट आकर बतायें कि रांची जिले में कितने अस्पताल हैं। वहां बुनियादी सुविधायें कैसी हैं। आधारभूत संरचना की हालत कैसी है। क्या वहां फायर फाइटर की व्यवस्था है?
आयुष्मान भारत योजना में गड़बड़ी पर पीआईएल
गौरतलब है कि झारखंड में निजी अस्पतालों में आयुष्मान भारत योजना के तहत इलाज और बिल के भुगतान में कथित तौर पर गड़बड़ियों की शिकायत मिली थी। इस सिलसिले में हाईकोर्ट में जनहित याचिका डाली गई थी। इस बीच एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया। दरअसल, रांची के बरियातू स्थित जेनेटिक सुपर-स्पेशियलिटी हॉस्पिटल पर यह आरोप लगा कि उसने कथित तौर पर बिल का भुगतान नहीं करने पर खूंटी के तोरपा की रहने वाली संगीता कुमारी नाम की महिला को बंधक बना लिया था। उसका पति मंगलू सिंह मनरेगा मजदूर है। उसने बताया कि वह अस्पताल में 2.60 लाख रुपये का भुगतान कर चुका था। हॉस्पिटल उससे बकाया 1.60 लाख रुपये का भुगतान करने को कह रहा था जो उसके पास नहीं था।