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अच्छी खबर : 33 बच्चों को गोद लेने कतार में खड़े हैं 199 पेरेंट्स, जानिए क्या होती है अडॉप्शन पॉलिसी

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रांचीः
आप सबों को यह जानकर बेहद खुशी होगी कि देश में जितने बच्चे गोद लेने के लिए नहीं हैं। उससे कई ज्यादा बच्चों को गोद लेने के लिए पैरेंट्स तैयार हैं। एडॉप्शन एजेंसियों के अनुसार 2018 के बाद बच्चों को एडॉप्ट करने वाले माता-पिता की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। पहले 1 से डेढ़ साल के इंतजार के बाद बच्चे का एडॉप्शन हो जाता था। अब 3 वर्ष के बाद ही बच्चा गोद लिया जा सकता है। 

बच्चों से ज्यादा पैरेंट्स लाइन में 
रांची में सहयोग विलेज और करुणा दो डेडिकेटेड बच्चों की एडॉप्शन एजेंसी है। जहां अभी 33 बच्चे एडॉप्शन के लिए हैं। जिनको लेने के लिए 199 पैरेंट्स लाइन में हैं। 

गोद लेने के लिए रजिस्ट्रेशन की यह है प्रक्रिया 
देशभर में अगर कोई माता-पिता बच्चा गोद लेना चाहते हैं तो उन्हें सेंट्रल पोर्टल कारा (सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी) पर अपना रजिस्ट्रेशन करना होगा। 
कारा वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन के बाद माता-पिता से निश्चित फॉर्मेट में सवाल पूछे जाते हैं। सवालों के जवाब देने के बाद एजेंसी उनके घर जाकर होम स्टडी रिपोर्ट जमा करती है कि वे बच्चा रखने योग्य हैं या नहीं। फिर वेटिंग लिस्ट में जोड़ा जाता है।
उनका नंबर आने के बाद उन्हें बच्चे के डिटेल्स शेयर किए जाते हैं। 60-60 दिनों के अंतराल के बाद उन्हें 3 बच्चे दिखाए जाते हैं।
पैरेंट द्वारा बच्चे का चुनाव कर लेने के 20 दिन में उन्हें एडॉप्टिंग कमेटी को दस्तावेज जमा करने होते हैं।
एडॉप्शन कमेटी फिर बच्चे को कानूनी तौर पर रिलीज कर देती है।
अंत में कोर्ट से सभी प्रक्रिया के बाद बच्चा पैरेंट को दे दिया जाता है।

इन दस्तावेज की होती है जरूरत
दोनों पैरेंट का पैन कार्ड, आधार कार्ड, आईटीआर रिटर्न, मैरेज सर्टिफिकेट, मेडिकल सर्टिफिकेट, इनकम सर्टिफिकेट, पैरेंट की फोटो, जन्म प्रमाण पत्र के लिए कोई दस्तावेज