द फॉलोअप डेस्कः
आज विभिन्न मुद्दों को लेकर झामुमो के वरिष्ठ नेता सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि इस देश में जहां से लोकतंत्र की बुनियाद बनी आज उसी जगह पर लोकतंत्र को दफनाने का काम हुआ। हम सब जानते हैं कि वैशाली को पवित्र भूमि है जहां पहली बार 17वीं सदी में लोकतंत्र का एक प्रारूप सामने आया था। उसके बाद पूरे भारत खंड में कई राजे-महाराजे आए। राजतंत्र को भी हमने देखा और उसको समाप्त होते हुए भी। इस दौरान इस खंड को लूटने का भी कई बार प्रयास हुआ और वो लूट भी ले गये। लेकिन देश फिर से गढ़ उठा। ये बिगड़ने का और गढ़ने का काम इस देश वासियों ने देखा है। बाहर से व्यापार करने जो लोग आए उन्होंने भी अपना शासन स्थापित किया। उनसे मुक्ति भी मिली। देश में संविधान के साथ नया लोकतंत्र भी आया। इस लोकतंत्र के 75वें साल में बिहार में जो हुआ वह अद्भूत है। सन और काल पात्र बदल गये। जो बाहर से व्यापार करने आए थे अब यहां व्यापार शुरू हो गया।
यहां के व्यापारी जिनको बिहार, झारखंड, जिनको बंगाल चाहिए ऐसे तमाम राज्य जहां संसाधन बहुत है उनको वहां स्थापित होना है। चाहे वह मानव संसाधन हो , खनिज संसाधन हो या जैव संसाधन हो। इसी का पूरा खेल बिहार में रचा गया। झारखंड में मूल तत्व है सामुदायिकता। ये प्राचीन काल से आदिवासी संस्कृति का वाहक है। इसलिए उनकी मंशा सफल नहीं हुई। यहां सामुदायिकता की परमंपरा ध्वस्त नहीं हुआ। लेकिन बिहार में हुआ। पराकाष्ठा है संसदीय परंपर को समाप्त करने का। हमने देखा वहां पर विपक्ष में जो राजद है निर्जलता के साथ वह सत्ता पक्ष के साथ जाकर बैठ गया। उसको मान्यता सदन के संरक्षक ने दी। जो सरंक्षक है वहीं आज भक्षक है। और वह ऐसा शक्ति है जिसका संचालन दिल्ली से होता है। जिस नेता ने कहा कि बिहार के लोगों का डीएनए खत्म है। आज तो वहीं साबित हो गया। तो क्यों आपने उस डीएनए को खत्म कर दिया। तो क्यों आपने बहाना बनाकर लोगों के बीच जाने का काम किया। मिट्टी में मिल जाऊंगा मर जाऊंगा पर साथ नहीं जाऊंगा। चोर दरवाजे से आपको बार बार क्यों जाना पड़ता है। ये तो ईश्वर है जिन्होंने हमलोगों को एहसास कराया था कि ऐसे नेता किसी गठजोड़ में रहा तो उस गठजोड़ का सत्यानाश हो जाएगा। इसलिए किसी ने उनको संयाजोक तक नहीं बनाया।
एक नया परंपरा शुरू हो गया। 2014 में था कि अबकी बार मोदी सरकार, महंगाई की मार भ्रष्टाचार की मार, 2019 में सेना को दांव पर लगा दिया गया। शहीदों का तस्वरी छापकर चुनावी रैलियां की गई। अब 2024 में भारत तंत्र दिया गया। बंगाल में चुनाव था प्रणव दा बन गये थे भारत रत्न, बिहार में चुनाव है इसलिए कर्पूरी ठाकुर बन गये भारत रत्न। उत्तरप्रदेश में चुनाव है चौधरी चरण सिंह बन गये भारत रत्न, कल से किसान आंदोलन शुरू होगा। एमएस स्वामी नाथन बन गये भारत रत्न। तेलंगना बुरी तरह से पस्त हो गये। नरसिम्हा राव जी बन गये। समय देखिए जिस आरक्षण के सवाल पर कर्पूजी जी को हटाया पद से आज उसी जनसंघियों को नीतीश जी अपने साथ रखे हुए हैं। कर्पूरी जी ने जो लड़ाई लड़ी उसे बेचने का काम नीतीश कुमार ने किया।
आज 12 तारीख कोई साधारण तारीख नहीं है जब तारीख लिखी जाएगी तो बिहार हमेशा याद किया जाएगा कि वैशाली का वह भूमी का, पाटलीपुत्र का वो सम्राट व्यपारियों के हाथ बिक गया। जमीन तो बिहार के लोग नहीं लेने देंगे। चाहे तुम उसे कितना बार भी बेचो। यह प्रयास यहां पर भी हो रहा था। अब भी हो रहा है। अब हम मुकाबला करेंगे। 15 तारीख से पंचायत स्तर पर प्रतिरोध की आवाज तैयार होगी। और आगामी दिनों तक चलेगी। जब तक हमारे नेता के खिलाफ किया गया साजिश की असलियत सामने ना आ जाए। ये एक नया परंपरा यहां शुरू हुआ कि लगातार 13 दिन रिमांड ली गई ईडी से। इतना खौफ है कि तहखाना में रखा गया है। ताकि घूट के मर जाए। रौशनी में मत रखो ताकि वह अंधा हो जाए। आवाज ना आए ताकि उसके सुनने की क्षमता खत्म हो जाए। इस अमानवीय परिस्थिति में उनको रखा गया है। ठीक है आपका अधिकारी है जो जानना है जानिए। क्यों 1 दिन छोड़ दिया। 14 दिन एक साथ ले लेते। क्यों ये पोस्चरिंग हो रहा है कि ईडी दफ्तर से निकले हेमंत बाबू, कोर्ट परिसर पहुंचे हेमंत बाबू। क्यों मीडिया ट्रायल हो रहा है। ऐसा सुरक्षा कि लग रहा है कि हेमंत बाबू के पंख निकल आए हैं और वह उड़ जाएंगे। आप कायर लोग हो। हरिय़ाणा का सीमा जो पंजाब में कीव की तरह से बैरेकेंडिग लगा दिया गया है क्योंकि वहां किसान जाने वाले हैं। इतना डर अपने ही लोगों से क्यों है। 16 तारीख को पूरा देश हड़ताल में जाएगा। किसान के मुद्दे पर, मजदूर के मुद्दे पर, बैंक इंशोरेंस के मुद्दे पर और ईडी का सिलेक्टीव टारगेट के खिलाफ पूरा भारत में हड़ताल होगी और पार्टी उसके साथ जाएगी। सारे जनसंगठन, सारे श्रमिक संगठन, सभी राजनीतिक पार्टियां इस हड़ताल के साथ रहेगी।