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सीता सोरेन का रांची आना स्थगित, प्रशासन ने सुरक्षा देने में जताई असमर्थता

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द फॉलोअप डेस्क
सीता सोरेन का रांची आना स्थगित हो गया है। सुरक्षा कारणों से उनकी रांची वापसी को स्थगित कर दिया गया है। सीता सोरेन के कार्यलय से मिली जानकारी के अनुसार जिला प्रशासन ने सीता सोरेन को Z श्रेणी की सुरक्षा देने से इनकार कर दिया। प्रशासन की ओर से चुनाव का हवाला देते हुए कहा गया कि हम उन्हें Z श्रेणी की सुरक्षा देने में असमर्थ हैं। गौरतलब है कि 19 मार्च को सीता सोरेन ने बीजेपी ज्वॉइन किया है। इसके बाद 21 मार्च को केंद्र सरकार ने सीता सोरेन को दी Z श्रेणी की सुरक्षा मुहैया कराई है। बता दें कि बीजेपी में शामिल होने के बाद सीता आज पहली बार रांची आने वाली थीं।

जेड सिक्योरिटी

अब जान लीजिए की जेड सिक्योरिटी में कितने जवानों की तैनाती की जाती है। बता दें कि Z कैटेगरी स्तर की सुरक्षा में 22 सुरक्षाकर्मी शामिल होते हैं जिसमें नेशनल सिक्योरिटी गार्ड (NSG) के 4 या 5 कमांडर भी होते हैं। अतिरिक्त सुरक्षा दिल्ली पुलिस या सीआरपीएफ की ओर से मुहैया कराई जाती है। सुरक्षा में एक एस्कॉर्ट कार भी शामिल होती है। कमांडोज सब मशीनगन और आधुनिक संचार के साधनों से लैस रहते हैं। इसके अलावा इन्हें मार्शल ऑर्ट से प्रशिक्षित किया जाता है। इनके पास बगैर हथियार के लड़ने का भी अनुभव होता है।

अत्यन्त दुःखी हृदय से पेश किया इस्तीफा
गौरतलब है कि सीता सोरेन ने 19 मार्च को जेएमएम का दामन छोड़कर बीजेपी ज्वॉइन कर लिया। सीता ने 19 मार्च की सुबह पहले झारखंड मुक्ति मोर्चा के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने मेल के जरिए ससुर शिबू सोरेन को अपना इस्तीफा दिया। सीता सोरेन ने अपने इस्तीफे में अपना दर्द बयां किया है कि कैसे वह पार्टी में रहकर खुद को उपेक्षित महसूस कर रही थीं। सीता ने लिखा था, मैं सीता सोरेन, झारखंड मुक्ति मोर्चा की केन्द्रीय महासचिव एवं सक्रिय सदस्य वर्तमान विधायक हूं, आपके समक्ष अत्यन्त दुःखी हृदय के साथ अपना इस्तीफा पेश कर रहीं हूं। मेरे स्वर्गीय पति, दुर्गा सोरेन, जो कि झारखंड आंदोलन के अग्रणी योद्धा और महान क्रांतिकारी थे, के निधन के बाद से ही मैं और मेरा परिवार लगातार उपेक्षा का शिकार रहें है। पार्टी और परिवार के सदस्यों द्वारा हमे अलग-थलग किया गया है, जो कि मेरे लिए अत्यन्त पीड़ादायक रहा है। मैंने उम्मीद की थी कि समय के साथ स्थितियां सुधरेंगी, परन्तु दुर्भाग्यवश ऐसा नहीं हुआ झारखंड मुक्ति मोर्चा जिसे मेरे स्वर्गीय पति ने अपने त्याग समर्पण और नेतृत्व क्षमता के बल पर एक महान पार्टी बनाया था आज वह पार्टी नहीं रहीं मुझे यह देख कर गहरा दुःख होता है कि पार्टी अब उन लोगों के हाथों में चली गयी है जिनके दृष्टिकोण और उद्देश्य हमारे मूल्यों और आदर्शों से मेल नहीं खाते।

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