राकेश शर्मा, बोकारो:
साइकिल के पैडल पर पूरे उत्साह से जोर लगाती इस महिला का नाम सरस्वती है। उम्र 70 वर्ष हो चली है लेकिन सरस्वती का हौंसला जवां है। थकावट। माफ कीजिएगा। इनकी डिक्शरी में ऐसा कोई शब्द है ही नहीं। 70 की उम्र में 16 वर्षीय युवती सा जोश लिए सरस्वती हर रोज तकरीबन 20 किमी की दूरी साइकिल से ही तय करती हैं।
जिस उम्र में आमतौर पर लोगों को किसी की सहारे की जरूरत पड़ती है, उस उम्र में जीवन का 70वां बसंत देख चुकीं सरस्वती इलाके की सैकड़ों महिलाओं का सहारा बनी हैं।उद्देश्य केवल एक है। शोषण और प्रताड़ना झेल रही महिलाओं को उनका हक दिलाना।
आयरन लेडी के नाम से जानते हैं लोग
पूरे इलाके को दिनभर में साइकिल से ही नाप देने वाली 70 वर्षीय सरस्वती को लोग आयरन लेडी के नाम से जानते हैं। लोहे की साइकिल पर लोहे सा इरादा लिए महिलाओं के हक और अधिकार के लिए लड़ने वाली सरस्वती को जब लोग आयरन लेडी बुलाते हैं, तो ये बात अतिश्योक्ति नहीं लगती। जीवन के जिस पड़ाव में जहां लोग किसी सहारे की तलाश करते हैं।
साइकिल से ही गांव-गांव घूमती हैं सरस्वती
जिस उम्र में चारपाई ही आम लोगों की नियति बन जाती है, उस उम्र में सरस्वती साइकिल से ही गांव-गांव घूमती हैं। महिलाओं से मिलती हैं। उनकी समस्याओं से रूबरू होती हैं। उनसे संवाद करती हैं। उनको दुलार करती हैं। समस्या का समाधान भी बताती है। जब लोग खुद से ही हार जाते हैं, तब आयरन लेडी के नाम से मशहूर सरस्वती उनकी लड़ाई लड़ती हैं।
बोकारो जिला के करमा गांव में रहती हैं सरस्वती
सरस्वती दीदी बोकारो जिला मुख्यालय से 45 किमी दूर अति नक्सल प्रभावित करमा गांव में बने एक इंदिरा आवास में अकेली रहती हैं। सुबह उठती हैं। घर का कामकाज निपटाती हैं। तैयार होती हैं। कंधे पर एक झोला टांगती हैं और अपनी सबसे विश्वसनीय साथी, अपनी साइकिल पर सवार होकर निकल पड़ती हैं। पूरे दिन सरस्वती गांव-गांव घूमती हैं।
आयरन लेडी उन तमाम महिलाओं से मिलती हैं जिन्हें टूटी-फूटी हिंदी बोलने में भी परेशानी होती है। सरस्वती दीदी ऐसी ही शोषित और पीड़ित महिलाओं की खोज-खबर लेती है। उनका दुख सुनती हैं। समझती हैं और उसका निदान भी बताती हैं।
महिला सशक्तिकरण की उत्तम उदाहरण भी हैं
सरस्वती दीदी उम्र के 70वें पड़ाव में होने के बाद भी जोश और जज्बे की जीती-जागती मिसाल हैं। महिला सशक्तिकरण की प्रासंगिक उदाहरण हैं। उन्होंने इलाके की कई महिलाओं की जिंदगी बदली है। सरस्वती देवी प्रेरणास्त्रोत हैं उन हजारों-लाखों महिलाओं की, जिन्हें सही मंच नहीं मिलता। महिला दिवस पर, बोकारो से द फॉलोअप के लिए राकेश शर्मा की रिपोर्ट।