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धार्मिक पहचान से वंचित किए जा रहे आदिवासी, ये बर्दाश्त योग्य बात नहीं- सालखन मुर्मू

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द फॉलोअप डेस्क:

आदिवासी सेंगेल अभियान द्वारा 8 नवंबर को मोरहाबादी मैदान में सरना धर्म कोड जनसभा का आयोजन किया गया है। इसमें दुनियाभर के लाखों आदिवासियों के शामिल होने का दावा है। इसकी जानकारी देते हुए आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सालखन मुर्मू ने कहा कि आदिवासियों को उनकी धार्मिक पहचान से वंचित किया जा रहा है। आदिवासी प्रकृति पूजक हैं और उनका एक ही धर्म है सरना लेकिन, साजिशन आदिवासियों को हिन्दू, मुस्लिम और ईसाई धर्म में बांट लेने की कवायद जल रही है। सालखन मुर्मू ने कहा कि 15 करोड़ प्रकृति पूजक आदिवासियों को सरना धर्म कोड नहीं दिया जा रहा है जोकि उनका मौलिक अधिकार है।

 

2011 में 50 लाख आदिवासियों ने लिखा सरना
सालखन मुर्मू ने दावा किया कि 2011 की जनगणना ने में तकरीबन 50 लाख आदिवासियों ने धर्म कॉलम में सरना लिखा वहीं 44 लाख लोगों ने खुद को जैन धर्म का बताया। इतनी बड़ी आदिवासी आबादी को सरना धर्म कोड नहीं देना उन्हें धार्मिक पहचान के  मौलिक अधिकार से वंचित करना है। 

सालखन मुर्मू ने केंद्र की बीजेपी सरकार को घेरा
आदिवासी सेंगेल अभियान के सालखन मुर्मू ने केंद्र की बीजेपी सरकार पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि एक आदिवासी महिला द्रौपदी मुर्मू को जब राष्ट्रपति जैसे सर्वोच्च संवैधानिक पद पर बिठाया गया उसी समय सरना धर्म कोड को पास कर बीजेपी आदिवासियों को अपने साथ जोड़ सकती थी लेकिन, बीजेपी ने यह मौका गंवा दिया। उन्होंने कहा कि यदि तब बीजेपी ने सरना धर्म कोड को मान्यता दी होती तो झारखंड, पश्चिम बंगाल, बिहार, ओडिशा, छत्तीसगढ़, असम और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में इसका जबरदस्त प्रभाव पड़ता। उन्होंने कहा कि एनडीए में शामिल आजसू पार्टी ने इसका समर्थन किया लेकिन अर्जुन मुंडा विरोध करते हैं। 

आजसू पार्टी भी करती है सरना धर्म कोड का समर्थन
गौरतलब है कि झारखंड में कई संगठनों और राजनीतिक दलों द्वारा सरना धर्म कोड की मांग उठाई जाती रही है। इससे संबंधित एक प्रस्ताव भी कैबिनेट से पास हुआ। इसे केंद्र की मंजूरी के लिए भेजा गया लेकिन इसके बाद की जानकारी नहीं है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी कई मौकों पर सरना धर्म कोड की मांग कर चुके हैं। उन्होंने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार जानबूझकर इसे मान्यता नहीं देना चाहती। कई आदिवासी संगठनों का मानना है कि सरना धर्म कोड लागू होने से आदिवासियों के आर्थिक-सामाजिक और राजनीतिक हित भी सुरक्षित हो जाएंगे।