द फॉलोअप डेस्कः
लोकसभा चुनाव के बाद पहली बार कैबिनेट की बैठक करते हुए मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने ना केवल विधायक के वेतन एवं अन्य सुविधा पर मुहर लगाया बल्कि सरकार के मुख्यमंत्री, मंत्री, नेता प्रतिपक्ष, विधानसभा के विधानसभाध्यक्ष, मुख्य सचेतक आदि का वेतन भत्ता बढाने की मंजूरी प्रदान की। बुधवार 19 जून को हुई कैबिनेट की बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार अब राज्य के मुख्यमंत्री को एक लाख रुपए प्रतिमाह मिलेंगे इसके अतिरिक्त अन्य सुविधा भत्ता की राशि मिलेगी। वर्तमान में मुख्यमंत्री को मासिक वेतन 80 हजार मिलता है। इसके अलावा प्रभारी भत्ता के रुप में 70 हजार प्रतिमाह जो एक लाख मिलेगा। इसी तरह क्षेत्रीय भत्ता में भी वृद्धि की गई है।
मुख्यमंत्री को क्षेत्रीय भत्ता 80 हजार के स्थान पर अब 95000 प्रति माह मिलेगा। सत्कार भत्ता 60000 के स्थान पर 70000 प्रतिमाह और आवास ऋण 40 लाख के स्थान पर 60 लाख रूपया चार प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर पर उपलब्ध होगी। कैबिनेट में लिए गए फैसले की जानकारी बाद में कैबिनेट सचिव वंदना डाडेल ने मीडियाकर्मियों को दी।
राज्य के मंत्री पहले वेतन-भत्ता 1.90 लाख रुपये पाते थे। कैबिनेट के फैसले के बाद इनको 2.35 लाख रुपये मिलेंगे। इनके वेतन और भत्ता 45 हजार रुपये बढ़ेंगे। स्पीकर के वेतन व भत्ते में 45 हजार रुपये की वृद्धि है. अब उन्हें 2.63 लाख रुपये मिलेंगे. वहीं, विधायकों के वेतन और भत्ता में 48 हजार रुपये की बढ़ोतरी हुई है। विधायक के मूल वेतन 40 हजार रुपये में 20 हजार रुपये बढ़ कर मिलेंगे। पहले विधायक वेतन और भत्ता सहित 1.40 लाख रुपये मिलते थे, अब वे 1.88 लाख रुपये पायेंगे। विधायकों के निजी सहायक का वेतन 30 हजार से बढ़ कर 50 हजार हो गया है। वहीं, कंप्यूटर और लैपटॉप के लिए विधायकों को पहले 70 हजार मिलते थे, अब इसे एक लाख तक की राशि मिल सकती है। विधायक के अनुसेवक का तनख्वाह पांच हजार बढ़ायी गयी है। अब इनको 30 हजार मिलेंगे। प्रतिपक्ष के नेता के वेतन व भत्ता में भी 45 हजार की बढ़ोतरी हुई है। अब वह 2.35 लाख रुपये पायेंगे। मुख्य सचेतक व सचेतक के वेतन व भत्ता में भी वृद्धि है। मुख्य सचेतक का वेतन-भत्ता 1.51 लाख रुपये से 1.95 लाख रुपये हो गया है।
विधानसभा में उठी थी मांग, चंपाई सरकार ने की पूरी
झारखंड विधानसभा में विधायक की ओर से वेतन वृद्धि को लेकर मांग उठी थी। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के कार्यकाल में भी सदन के अंदर सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्यों के द्वारा मांग उठती रही और यह सिलसिला जारी रहा. हालांकि इसे पूरा करने में चंपाई सरकार सफल हुई। खास बात यह है कि वेतन वृद्धि के मुद्दे पर सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों की एकजुटता सदन के अंदर और बाहर दिखती रही है।