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आज़ादी के दशकों बाद भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं साहेबगंज की पहाड़िया जनजाति

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अजीत कुमार जयसवाल, साहिबगंज  
एक तरफ पूरा देश आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, वहीं दूसरी ओर झारखंड के साहेबगंज जिले के बोरियो प्रखंड अंतर्गत पुआल पंचायत के गोड्डा पहाड़ जैसे आदिवासी बहुल इलाके आज भी बुनियादी सुविधाओं से कोसों दूर हैं। पहाड़िया जनजाति के लोग आज भी सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा, आंगनबाड़ी और स्वच्छ पेयजल जैसी सुविधाओं के अभाव में जीवन गुजार रहे हैं।

गांवों में पक्की सड़कों का अभाव है, जिसके कारण ग्रामीणों को पगडंडियों और उबड़-खाबड़ रास्तों से गुजरना पड़ता है। बारिश के मौसम में हालात और भी बदतर हो जाते हैं। कई गांवों में स्वास्थ्य केंद्र और आंगनबाड़ी जैसी आवश्यक सेवाएं नहीं हैं, जिससे गर्भवती महिलाओं और बीमारों को समय पर इलाज नहीं मिल पाता।

पेयजल संकट और आजीविका की चुनौती

कुछ गांवों में पीने के पानी की भारी किल्लत है। ग्रामीणों को दूर-दराज से पानी लाना पड़ता है। कुएं ही एकमात्र स्रोत हैं, जिन पर पूरा गांव निर्भर रहता है। खेती और पशुपालन पर निर्भर पहाड़िया समुदाय की आर्थिक स्थिति भी सड़क और अन्य आधारभूत ढांचे की कमी के कारण प्रभावित हो रही है।
सरकारी योजनाएं कागज़ों तक सीमित हैं। कई गांवों तक आदिवासी कल्याण की योजनाओं की पहुंच ही नहीं हो पाई है। यह स्थिति दर्शाती है कि पहाड़िया समुदाय के विकास के लिए जमीनी स्तर पर ठोस प्रयासों की आवश्यकता है।

क्या कहते हैं स्थानीय लोग
गोड्डा पहाड़ के धर्मा पहाड़िया बताते हैं, "हमें चलने के लिए सड़क नहीं है। कच्ची पगडंडी से चप्पल हाथ में उठाकर आना-जाना करते हैं।" सकरु पहाड़िया कहते हैं, "पानी की बहुत समस्या है। एक ही कुआं है और पीने के लिए दूर जाना पड़ता है।" मंगली पहाड़िन बताती हैं, "बास्को बड़तल्ला से गोड्डा पहाड़ और फिर बरमसिया तक सड़क बेहद खराब है। गर्भवती महिलाओं को खटिया में उठाकर ले जाना पड़ता है।"

कुछ ग्रामीणों का कहना है कि गांव में एक भी आंगनबाड़ी केंद्र नहीं है, जिससे छोटे बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। वहीं, पानी की समस्या दूर करने के लिए डीप बोरिंग योजना शुरू हुई थी, लेकिन मात्र 180 फीट खुदाई कर काम रोक दिया गया।
जब इस संबंध में पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के जेई दिलीप मंडल से पूछा गया तो उन्होंने बताया, "यह योजना हमारे विभाग की नहीं है। संभवतः किसी अन्य योजना के अंतर्गत आती है।"

निष्कर्ष
गोड्डा पहाड़ की यह स्थिति बताती है कि झारखंड के कई आदिवासी इलाके अब भी बुनियादी विकास से दूर हैं। सरकार और प्रशासन को इन समुदायों तक योजनाओं की पहुंच सुनिश्चित करने और उन्हें मुख्यधारा से जोड़ने के लिए गंभीर कदम उठाने होंगे।

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