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झारखंड को अग्रणी राज्यों की कतार में लाने की तैयारी: मंत्री राधाकृष्ण किशोर का सतत विकास पर फोकस

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रांची 
झारखंड के वित्त, योजना एवं विकास मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने मनरेगा के अंतर्गत अब तक अर्जित परिसंपत्तियों की समीक्षा करने का निर्देश जिलों के उपायुक्तों को दिया है। उन्होंने सवाल उठाया कि यदि अब तक ठोस परिसंपत्ति नहीं बनी, तो फिर यह विकास किस प्रकार का है। सोमवार को रांची के होटल रेडिसन में "बिल्डिंग ए सस्टेनेबल झारखंड – ग्लोबल गोल्स, लोकल सॉल्यूशंस" विषय पर आयोजित राज्य स्तरीय कार्यशाला को संबोधित करते हुए मंत्री ने कहा कि यदि निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के सुझावों को अमल में लाया जाए, तो अगले दस वर्षों में झारखंड देश के अग्रणी राज्यों की सूची में शामिल हो सकता है।
कार्यशाला में मंत्री ने "सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स डिस्ट्रिक्ट इंडेक्स डैशबोर्ड" और "डिस्ट्रिक्ट इंडिकेटर फ्रेमवर्क-2025" का शुभारंभ भी किया। इस अवसर पर मुख्य सचिव अलका तिवारी, यूएनडीपी इंडिया की प्रतिनिधि एंजेला लुसीगी, नीति आयोग के वरिष्ठ सलाहकार राजीव कुमार सेन, योजना एवं विकास विभाग के सचिव मुकेश कुमार, विभिन्न जिलों के उपायुक्त व उप विकास आयुक्त और विश्वविद्यालयों के कुलपति उपस्थित थे।


विभिन्न विभागों—जैसे उद्योग, श्रम, स्कूली शिक्षा, नगर विकास, स्वास्थ्य आदि—ने सतत विकास लक्ष्यों की दिशा में चल रही योजनाओं की प्रस्तुतियां दीं। हजारीबाग, पाकुड़, गोड्डा, धनबाद और कोडरमा जिलों ने अपने-अपने सफल प्रयासों और नवाचारों की झलक भी साझा की।
विकास की दिशा तय करने के लिए नए रोडमैप का निर्देश
मंत्री ने कहा कि अब जरूरत है कि विकास की प्रक्रिया में थोड़ा बदलाव किया जाए। योजनाएं ऐसी हों जो वंचित वर्गों, गरीबों, कुपोषितों और सुदूर ग्रामीण इलाकों तक पहुंचे। उन्होंने योजना विभाग को अगले पांच वर्षों के लिए एक ठोस कार्ययोजना तैयार करने को कहा, जिसमें यह स्पष्ट हो कि किस सेक्टर में विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। इसके लिए उन्होंने 23 विभागों के बीच समन्वय की बात कही और बताया कि मुख्यमंत्री की सोच है कि बजट का उपयोग वहीं हो जहां राज्य को सबसे अधिक जरूरत हो।


मंत्री ने सतत विकास के लिए जिन मुद्दों पर दिया जोर:
•    जल संरक्षण: झारखंड एक सूखा प्रभावित राज्य है, इसलिए वर्षा जल, सतही व भूजल के संरक्षण को प्राथमिकता दी जाए।
•    प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा: राज्य में कोयला, आयरन, माइका, कॉपर, मैंगनीज और बॉक्साइट जैसे संसाधनों की भरमार है, लेकिन इनका अवैध दोहन चिंता का विषय है।
•    बालू तस्करी पर रोक: बालू खनन की स्थिति सुधारने के लिए योजना विभाग को ठोस कार्रवाई करनी होगी।
•    भ्रष्टाचारमुक्त प्रणाली: सतत विकास के लक्ष्य भ्रष्टाचारमुक्त तरीके से पूरे होने चाहिए।
स्थानीय निकायों की भूमिका को मजबूत बनाने की जरूरत
मुख्य सचिव अलका तिवारी ने कहा कि झारखंड का सतत विकास प्रदर्शन अन्य राज्यों की तुलना में कमजोर है, इसलिए ठोस प्रयास जरूरी हैं। उन्होंने कहा कि ग्राम स्तर तक कार्यशालाएं आयोजित करनी होंगी और पंचायतों में विशेष रूप से महिला नेतृत्व की भागीदारी बढ़ानी होगी। उन्होंने डेटा संग्रहण, विश्लेषण और रिपोर्टिंग को बेहतर बनाने के लिए पांच-छह विभागों को मिलाकर एक नोडल इकाई गठित करने का सुझाव दिया। साथ ही, संस्थागत तंत्र तैयार कर उसकी नियमित समीक्षा की जरूरत पर भी बल दिया।

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