द फॉलोअप डेस्कः
इस वित्तीय वर्ष में शराब बिक्री से उतना राजस्व नहीं वसूली हो सका जितने का लक्ष्य रखा गया था। इसलिए छत्तीसगढ़ की एजेंसी को हटा दिया गया है। राजस्व को हुए नुकसान का आकलन किया जाएगा। उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग ने इसकी प्रक्रिया शुरू कर दी है। विभाग के महाप्रबंधक को इसकी जिम्मेदारी मिली है। राजस्व नुकसान के आकलन का कार्य इसी सप्ताह पूरा कर लिया जाएगा। इसके बाद आगे की कार्यवाही होगी। एजेंसी को फाइन जमा करने के लिए कहा जाएगा। अगर 1 सप्ताह में राशि जमा नहीं की गई तो सर्टिफिकेट केस किया जाएगा।
15 मार्च से ऑडिट
बता दें कि मार्च का महीना खत्म होने वाला है और अब तक सिर्फ 1800 करोड़ रुपए का ही राजस्व प्राप्त हो सका है जबकि 2300 सौ करोड़ रुपए का राजस्व का लक्ष्य रखा गया था यानी 500 करोड़ रुपए राजस्व का घाटा हुआ है। 15 मार्च के बाद राज्य के खुदरा दुकानों का ऑडिट शुरू किया जाएगा। विभाग ने तैयारी शुरू कर दी है। दुकानों के स्टॉक का मिलान किया जाएगा। दुकानों की सेल पंजे की भी जांच होगी। प्लेसमेंट एजेंसी द्वारा बैंक गारंटी की राशि जमा नहीं करने को विभागीय मंत्री जगन्नाथ महतो ने गंभीरता से लिया है।
कंपनी ने नहीं दिया आउटपुट
बता दें कि सरकार ने शराब बेचने के लिए नियुक्त किए गये छत्तीसगढ़ की कंपनी को हटा दिया है। उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग के मंत्री जगरनाथ महतो ने विभाग के इस प्रपोजल पर अपनी स्वीकृति दे दी है। उन्होंने राज्य में लागू उत्पाद नीति की समीक्षा करने के लिए भी निर्देश दिए गये हैं। इस समीक्षा से मालूम हो सकेगा कि आखिर क्यों निर्धारित राजस्व की वसूली नहीं हो सकी है। जो उत्पाद नीति राज्य में इस वक्त लागू है उसकी अंतिम तारीख 31 मार्च है। एक महीने से भी कम समय बचा है। इसके बावजूद अब तक लक्ष्य की प्राप्त नहीं किया जा सका है। मालूम हो कि राजस्व बढ़ाने के लिए ही 2022-23 की नई उत्पाद नीति लागू की गई थी। इसके लिए छत्तीसगढ़ की कंपनी को लगाया गया था। कंपनी को 1 करोड़ फीस देने की बात हुई है। लेकिन कंपनी ने जो दावा किया था उसके अनुरुप राजस्व की वसूली नहीं हुई।
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कंपनी पर लगाया गया है फाइन
जगरनाथ महतो ने विभागीय सचिव को पत्र लिखा है। उन्होंने मुख्य सचिव व सदस्य राजस्व पर्षद से समीक्षा करने को कहा है। बता दें कि राज्य में उत्पाद नीति को लेकर हायर किये गये छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड को हटा दिया गया है। इस कंपनी को नयी उत्पाद नीति के तहत शराब बेचने के लिए छत्तीसगढ़ मॉडल लागू किया गया था। इसके तहत सरकार ने अपने हाथ में शराब की बिक्री ले ली थी। एजेंसी को शऱाब बेचने के लिए रखा गया था, लेकिन वह तय लक्ष्य के मुताबिक शराब नहीं बेच सकी। इससे राजस्व का नुकसान हुआ है। सरकार ने एजेंसी पर 44 करोड़ का फाइन भी लगाया है। बता दें कि शराब के थोक कारोबार के लिए निजी कंपनी ओम साईं बिवरेज प्राइवेट लिमिटेड और दिशित वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड का चयन किया गया था।