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रांची की नितिशा खलखो को मिला सावित्रीबाई फुले सम्मान, भारत और नेपाल के रचनाकारों को भी पुरस्कार 

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द फॉलोअप डेस्क 

बीएसके कॉलेज मैथन के हिंदी विभाग की अध्यक्ष व आदिवासी कवयित्री प्रोफेसर नीतिशा खलखो को सावित्रीबाई फुले सम्मान मिला। बात दें कि नितिशा मूल रूप से रांची की रहने वाली हैं। पटना के गांधी मैदान के पास स्थित प्राथमिक शिक्षक संघ भवन में रविवार को आयोजित जन लेखक संघ, बिहार इकाई की द्वितीय वार्षिक राज्य सम्मेलन में प्रोफेसर नीतिशा खलखो को सम्मानित किया गया। इस सम्मेलन में भारत और नेपाल के कई अन्य कवियों और लेखकों को भी विभिन्न पुरस्कार मिले। मौके पर प्रोफेसर खलखो ने वंचितों के दर्द को व्यक्त करते हुए अपनी प्रसिद्ध कविता “अखबार और आसिफा” का पाठ किया। यह कविता जम्मू के आदिवासी बकरवाल समुदाय की 8 वर्षीय बच्ची आसिफा के साथ हुए सामूहिक बलात्कार की त्रासदी को बयान करती है। प्रोफेसर नीतिशा की शिक्षा दिल्ली विश्वविद्यालय और जेएनयू से हुई है। उनका लेखन, जिसमें कविता और कहानी शामिल हैं, समाज के कमजोर वर्गों की पीड़ा और उनके Also Read - Jharkhand Assembly Election: 11 हजार अर्धसैनिक बल के जवान रहेंगे तैनात संघर्षों पर केंद्रित है। “बहुजन साहित्य की प्रासंगिकता” विषय पर परिसंवाद और कवि सम्मेलन किया गया आयोजन। बता दें कि जन लेखक संघ के बैनर तले पटना में “बहुजन साहित्य की प्रासंगिकता” विषय पर परिसंवाद और कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया था।

इस सम्मेलन में पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, हरियाणा, नेपाल, भूटान, दिल्ली, पंजाब सहित अन्य राज्यों के लेखकों ने अपनी रचनाएं और विचारों को साझा किया। जन लेखक संघ के महासचिव महेंद्र पंकज ने सभी का स्वागत करते हुए कार्यक्रम की शुरुआत की। इसके बाद बाबा साहब आंबेडकर को पुष्पांजलि अर्पित की गयी और विषय का परिचय कराया गया। महेंद्र पंकज ने बहुजन साहित्य की आवश्यकता पर बोलते हुए कहा कि पीड़ित व्यक्ति ही अपनी पीड़ा का सही तरीके से इजहार कर सकता है। इसलिए बहुजनों को जाति प्रथा और शोषण के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करनी चाहिए. कार्यक्रम का संचालन डॉ रवींद्र भारतीय ने किया।

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