द फॉलोअप डेस्कः
पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सदन में भाषण दिया। इस दौरान उन्होंने कहा कि विश्वास मत के इस बहस का हिस्सा बन रहा हूं और हमारी पूरी पार्टी गठबंधन दल चंपई सोरेन जी को समर्थन करता है। और मैं कहना चाहूंगा 31 जनवरी की काली रात काला अध्याय देश के लोकतंत्र में नये तरीके से जुड़ा है। इससे पहले देश में किसी सीएम का गिरफ्तारी हुई हो मेरे संज्ञान में नहीं है। ये पहली घटना है। मुझे लगता है इस घटना को अंजाम देने में राजभवन भी शामिल रहा है। और जिस तरीके से ये घटना घटित हुई है मैं आश्चर्यचकित हूं। इसलिए कि मैं एक आदिवासी हूं। नियम कानून की जानकारी का अभाव रहता है। बौद्धिक क्षमता विपक्ष के बराबर नहीं है। लेकिन सही गलत की जानकारी सबको होती है। बहुत सुनियोजित तरीके से 31 तारिख की पटकथा लिखी जा रही थी । इस पकवान को बहुत धीमी आंच से पकाया जा रहा था। यह पकने वाला नहीं था लेकिन येन केन प्रकारेण इन्होंने आधा अधूरा पकवान पकाया और अपने लिए परोस लिया। बाबा भीम राव अंबेडकर का सपना कहीं ना कहीं अधूरा रह गया।
जिस तरह से बाबा साहेब को अपना धर्म छोड़कर बौध्द धर्म अपनाना पड़ा वैसे ही आदिवासियों के लिए आने वाले टाइम में होने वाला है। हर काल में आदिवासी, पिछड़ा दलित, अल्पसंख्यकक के ऊपर जो अत्याचार हुए हैं। उसी अत्याचार के रुप का उदाहरण 31 जनवरी है। कहीं ना कहीं इन वर्गों के प्रति विपक्ष को घृणा है। ना जाने इनको इतनी घृणा करने की ताकत कहां से मिलती है। आप इससे अंदाजा लगा सकते हैं कि इन्हीं के तंत्र कहाते है कि ये जंगल में थे तो इनको वहीं रहना चाहिए था। इनके कपड़े मैले होने लगते हैं। ये अछूत हो जाते हैं। इन्हीं विडंबना को दूर करन के लिए हमने कोशिश की थी।
इनका मार्ग प्रशस्त करने में हमने कोई कसर नहीं छोड़ी इनका वश चले तो हम वहीं जंगल में जाकर जिए। इनके पीछे छिपी कुंठा आए दिन इसे बयां करती थी। हमने हार नहीं मानी है। इनको लगता है कि मुझे जेल में डालकर अपने मंसूब में सफल हो जाएंगे। ये झारखंड है। ये देश का ऐसा राज्य है जहां हर कोने में आदिवासी दलित पिछड़े वर्ग से अगिनत सिपाही ने कुर्बानी देकर अपनी आजादी बचाई है। देश आजाद के सपने भी नहीं देखते थे उस वक्त से झारखंड में आदिवासी हक अधिकारी की लड़ाई लड़ रहे हैं। ये तो बहुत बाद में आए। आज तक इनलोगों ने गांधी टोपी नहीं पहला। ईडी सीबीआई आईटी, जिनको देश का संवेदनशील व्यवस्था कहा जाता है। एक तरफ जहां इनके सहयोगी करोड़ो रुपये डकार कर विदेश में बैठे हैं। उनका बाल बांका करने का औकात नहीं है। इनका औकात है देश के आदिवासी दलित पिछड़े के ऊपर अत्याचार करने का।