द फॉलोअप डेस्क:
पाकुड़ के तारानगर गांव में 18 जुलाई को हुई हिंसा के बाद से 10 परिवार अब भी अपने घरों में नहीं लौटे हैं। हिंसा के बाद कई परिवार दूसरी जगह चले गए थे। हालांकि, कुछ परिवार वापस आ गए हैं और अपनी दुकानें भी चला रहे हैं। तारानगर गांव में कुल 35 हिंदू परिवार हैं, जिसमें से 10 परिवार अब भी गांव नहीं लौटे हैं। इनमें से कुछ परिवार मजदूरी और मछली पकड़ने का काम करते हैं। हिंसा के दौरान कुछ दुकानों को नुकसान पहुंचाया गया था। जिससे गुमटी और नाश्ते की दुकानें बंद हैं। किराना दुकानें पक्के मकान में स्थित होने के कारण खुली हैं। इलामी गांव के महादेव दास ने बताया कि गांव में करीब 60-65 हिंदू परिवार रहते हैं।
गांव में शांति लाने के लिए शांति समिति की बैठक हुई। जिसमें सभी को मिल-जुल कर रहने की सलाह दी गई। साथ ही कहा कि अगर कोई दोषी है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जायेगी। गांव के मुखिया अजमल शेख ने कहा कि अधिकांश हिंदू परिवार लौट आए हैं और लगभग 10 परिवार ही बाहर हैं। उन्होंने सभी से गांव लौटने की अपील की है। साथ ही कहा है कि अगर किसी को इस मामले में शिकायत है तो वे पुलिस- प्रशासन में लिखित शिकायत भी कर सकते हैं।
मुफ्फसिल थाना प्रभारी संजीव झा ने बताया कि तारानगर, इलामी, नवादा और गोपीनाथपुर में 24 घंटे पुलिस तैनात है। पुलिसकर्मियों की शिफ्ट में ड्यूटी लगाई गई है ताकि हर समय गांव में पुलिस की मौजूद रहे। एसपी प्रभात कुमार ने बताया कि कुछ लोग प्राथमिकी में नाम दर्ज होने और रोजगार के कारण बाहर हैं। राजमहल विधायक अनंत ओझा ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि लोगों को अपना ही गांव छोड़ना पड़ा। उन्होंने विधानसभा में भी इस मुद्दे को उठाया था और मुख्यमंत्री से सुरक्षा की मांग की थी। इधर, जिला प्रशासन हिंसा के बाद से बाहर रहने वाले परिवारों की छानबीन में जुट गया है। डीसी मृत्युंजय कुमार बरनवाल ने बताया कि जांच के बाद स्थिति स्पष्ट हो जायेगी।