रांची
PM मोदी का दौरा बिरसा मुंडा की विरासत व आदिवासी अस्मिता के साथ मजाक है। पीएम मोदी के दौरे को लेकर लोकतंत्र बचाओ अभियान 2024 संगठन की ओऱ से ये बयान आया है। संगठन की ओर से कहा गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 15 नवम्बर 2023 को बिरसा मुंडा के गांव उलीहातु, खूंटी से विकसित भारत संकल्प यात्रा शुरू करने वाले हैं। कहने को यह सरकारी उपलब्धियों को बताने का अभियान है। असल में यह भाजपा की 2024 के संसदीय चुनाव की प्रचार यात्रा है। यह यात्रा मोदी की छवि चमकाने के लिए पैसे की बरबादी है। संगठन ने कहा है कि प्रधानमंत्री द्वारा यह यात्रा झारखंड से, बिरसा मुंडा की जन्मस्थली से शुरू हो रही है। बिरसा आदिवासियों के राष्ट्रीय नायक हैं। इस महानायक को सम्मान देकर वे आदिवासियों को अपनी ओर आकर्षित करने की चाल चल रहे हैं। इस यात्रा के जरिये वे झारखंड में फिर से ज्यादा से ज्यादा संसदीय सीटों को जीतकर तीसरी बार प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं।
आदिवासी धर्म और संस्कृति को मिटाना चाहते हैं
लोकतंत्र बचाओ अभियान ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा को उलीहातु से इस यात्रा के शुभारंभ का नैतिक हक ही नहीं है। वे आदिवासियों की स्वतंत्र पहचान मान्य ही नहीं करते हैं। उन्हें वनवासी नाम में समेट देते हैं। वे स्वतंत्र आदिवासी धर्म और संस्कृति को सनातन धर्म में शामिल कहकर मिटा देना चाहते हैं। वे सरना और ईसाई आदिवासी का झगड़ा लगाकर आदिवासियों की एकता तोड़ना चाहते हैं। वे जनजाति गौरव दिवस के नाम पर आदिवासियों को भ्रमित करेन की कोशिश कर रहे हैं।
ग्रामसभा के अधिकारों को कम कर दिया
कहा है कि झारखंड की आदिवासी मूलवासी जनता जल, जंगल, खनिज और जमीन पर हक की लड़ाई लड़ रही है। मोदी सरकार इन हकों को मिटा रही है। केंद्र ने वन संरक्षण कानून में संशोधन कर ग्रामसभा को मिलनेवाली वनभूमि और संसाधनों पर अधिकारों को छीनकर पूंजीपतियों को सौंपने का फैसला लिया है। इसका विरोध होना चाहिये। लोकतंत्र बचाओ अभियान की ओर से जारी पत्र में जिन सामाजिक कार्यकर्ताओं का उल्लेख है उनके नाम हैं, अंबिका यादव, अलोका कुजूर, भाषान मानमी, दिनेश मुर्मू, कुमार चंद्र मार्डी, लालमोहन सिंह खेरवार, मेरी निशा हंसदा, मंथन, पकू टुडु, रमेश जेराई, रेशमी देवी और सिराज दत्ता।