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नियोक्ता को अपने संस्थान में अब चिपकाना होगा स्टीकर, ‘हमारे यहां बाल श्रमिक नहीं है कार्यरत’

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द फॉलोअप डेस्क

रांची स्थित चैंबर भवन में 19 अप्रैल बुधवार को श्रम कानूनों पर जागरूकता के लिए श्रम नियोजन विभाग ने कार्यशाला का आयोजन किया। जिसमें व्यापारियों को न्यूनतम वेतन, बोनस एक्ट, डिजीटल भुगतान, ग्रेच्युटी एक्ट समेत नियोजकों की सुविधा के लिए विभागीय नीतियों की जानकारी दी गई। इस मौके पर उप श्रमायुक्त प्रदीप लकड़ा ने राज्य की आर्थिक उन्नति में किए जा रहे प्रयासों के लिए व्यापारियों व उद्यमियों को प्रोत्साहित किया। इसके साथ ही उन्हें श्रम कानूनों का पालन करने की अपील की। इस क्रम में उन्होंने कहा कि नियोक्ता अपने प्रतिष्ठान में हमारे यहां बाल श्रमिक कार्यरत नहीं हैं’, संबंधित स्टीकर लगायें। उन्होंने कहा कि व्यापारी अपने पुत्र को भी स्कूल ऑवर में दुकान में नहीं बैठा सकते, केवल छुट्टी के दिन ही बैठा सकते हैं। महिला-पुरूष को समान काम के लिए समान वेतन देना अनिवार्य है। 20 या 20 से अधिक कर्मचारी जहां कार्यरत हैं तो वहां मेटरनिटी लीव एक्ट का पालन भी अनिवार्य है। अनावश्यक कठिनाईयों से बचने के लिए नियोजक अपने कर्मचारियों के वेतन का भुगतान डिजिटली करें। इस दौरान उन्होंने पेमेंट व बोनस एक्ट की भी जानकारी दी। कहा कि जिस प्रतिष्ठान में 10 या उससे अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं वहां ग्रेच्युटी एक्ट लागू होता है। जिस कर्मचारी ने 5 वर्ष सेवा पूरी कर ली हो, उनकी किसी भी प्रकार से सेवा समाप्त होने पर लेंथ ऑफ सर्विस के हिसाब से ग्रैच्युटी का भुगतान करना होगा। लेकिन, चोरी, अनुशासनहीनता, व्यापार में हानि की अवस्था में ग्रेच्युटी नहीं बनेगा। वहीं, उन्होंने कर्मचारियों के बीमा समूह की भी जानकारी दी।

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स्थानीय उम्मीदवारों का नियोजन अधिनियम की दी गई जानकारी

कार्याशाला में राज्य के निजी क्षेत्र में स्थानीय उम्मीदवारों का नियोजन अधिनियम की जानकारी से अवगत कराया गया। साथ ही नियोजकों को अपने प्रतिष्ठान में 75 फीसदी स्थानीय लोगों को रोजगार देने की बात कही गई। व्यापारियों की असमंजसता को देखते हुए यह स्पष्ट किया गया कि पूर्व से कार्यरत कर्मचारियों के सेवानिवृत्त होने पर उनके स्थान पर स्थानीय लोगों को रोजगार में प्राथमिकता देनी है। यानी जिस प्रतिष्ठान-कारखाने में जैसे जैसे कर्मचारी सेवानिवृत्त होंगे, उनके स्थान पर नये लोगों में स्थानीय को रोजगार उपलब्ध कराना होगा। 75 फीसदी पूरा होने पर शेष 25 फीसदी अन्य राज्य के लोगों को रोजगार दे सकते हैं। साथ ही यह भी स्पष्ट किया गया कि इस एक्ट में ऐसा कहीं नहीं है कि पूर्व से कार्यरत कर्मचारियों को हटाकर, स्थानीय लोगों को रोजगार देना है। इस दौरान चैंबर अध्यक्ष किशोर मंत्री ने कहा कि इस प्रावधान से व्यापारियों के बीच असमंजसता की स्थिति बनी हुई है। चैंबर अध्यक्ष के आग्रह पर उप श्रमायुक्त ने इसी विषय पर जल्द ही चैंबर भवन में विभाग द्वारा कार्यशाला आयोजित करने की बात कही।

नॉन आरसीसी संरचना निर्माण पर लग रहे सेस पर पुनर्विचार करने को लेकर किया आग्रह

इस दौरान चैंबर अध्यक्ष ने आरसीसी भवनों की भांति नॉन आरसीसी संरचना, निर्माण पर लग रहे सेस पर पुनर्विचार के लिए भी आग्रह किया। यह कहा कि आरसीसी निर्माण की तुलना में नॉन आरसीसी निर्माण की लागत दर काफी कम होती है, ऐसे में लेबर सेस की राशि एक समान रखना न्यायसंगत नहीं है। उप श्रमायुक्त ने समस्या की वास्तविकता को स्वीकार करते हुए इसे बोर्ड में चर्चा कराने के लिए आश्वस्त किया। मौके पर उपस्थित व्यवसायियों ने राज्य में कुशल श्रमिकों की पर्याप्त उपलब्धता से भी अवगत कराया। जिसपर श्रमाधीक्षक अविनाश कृष्णन ने डिस्ट्रीक्ट स्किल कमेटी के समक्ष इस समस्या को रखने के लिए आश्वस्त किया।

कार्यशाला में अधिकारी, व्यापारी रहे मौजूद

इस मौके पर श्रम अधीक्षक वाल्टर कुजूर, अविनाश कृष्ण के अलावा विभाग के कई उच्चाधिकारी, चैंबर अध्यक्ष किशोर मंत्री, उपाध्यक्ष आदित्य मल्होत्रा, अमित शर्मा, महासचिव डॉ. अभिषेक रामाधीन, सह सचिव शैलेष अग्रवाल, कोषाध्यक्ष सुनिल केडिया, प्रवक्ता ज्योति कुमारी, पूर्व अध्यक्ष ललित केडिया, श्रम एवं मापतौल उप समिति के चेयरमेन प्रमोद सारस्वत, सदस्य अर्जुन सिंह, मुकेश कुमार, बिनोद तुलस्यान, सुनिल माथुर, दिलबाग शर्मा, संतोष प्रसाद, प्रमोद चौधरी, शषांक भारद्वाज, अमरचंद बेगानी, किषन अग्रवाल, जसविंदर सिंह, राजीव चौधरी, आशीष प्रसाद, मन्नू सिन्हा मौजूद थे।

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