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पंचायती राज की अवधारणा कांग्रेस ने एक विकसित भारत की सोच के तहत रखी थी- मीर 

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रांची
झारखंड प्रदेश राजीव गांधी पंचायती राज संगठन के 2 दिवसीय शिविर का समापन हुआ। समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में प्रदेश कांग्रेस प्रभारी गुलाम अहमद मीर तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर शामिल हुए। शिविर की अध्यक्षता राजीव गांधी पंचायती राज संगठन के अध्यक्ष सुनीत शर्मा ने की। इस अवसर पर गुलाम अहमद मीर ने कहा कि पंचायती राज की अवधारणा कांग्रेस ने एक विकसित भारत की सोच के तहत रखी थी जो आज वैश्विक स्तर पर भारत की पहचान बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। भारत के लोकतंत्र की नींव पंचायत से ही शुरू होती है जो संसदीय स्तर तक चलती है। जिला और पंचायत तक विकास कार्यों को पहुंचाने के लिए स्थानीय स्वशासन की परिकल्पना की गई थी। ताकि ग्रामीण समुदायों को सशक्त बनाकर देश के विकास में उन्हें भागीदार बनाया जा सके। इस स्थानीय स्वशासन प्रणाली के जरिए ग्रामीणों को स्थानीय स्तर पर ही निर्णय लेने की व्यवस्था प्रारंभ की गई जो आज भी कायम है। ये पूरे विश्व के सामने एक उदाहरण के रूप में स्थापित है।


प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने कहा कि जनता का विकास उनके हाथों में ही हो ऐसा कांग्रेस का मानना है और इसी सोच के तहत कांग्रेस ने लोगों को सुशासन का अधिकार देने के लिए पंचायती राज को मूर्त रूप दिया था। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी पंचायत को सशक्त बनाने के लिए हमेशा प्रयत्नशीलशील रहे थे, उनकी धारणा थी की मजबूत गांव ही एक मजबूत देश की पहचान होती है और इसके लिए गांव को स्वालंबी बनाना होगा,पंचायत को अधिकार देने होंगे। 1959 में पंचायती राज व्यवस्था की शुरुआत हुई थी और राजीव जी के सपनों के अनुसार इसे अधिक सशक्त बनाने के लिए इसके कार्यकाल, कार्य और जिम्मेवारियों को स्पष्ट रूप से परिभाषित करते हुए संविधान के 73 वें संशोधन के द्वारा 1993 में पंचायती राज को संवैधानिक दर्जा दिया गया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से कुणाल बनर्जी, डॉ अमित झा, सुभाष नाग,अंजनी रंजन,शांतनु मिश्रा, अनमोल तिर्की, जॉनसन मिंज, संदीप गुप्ता, नूतन एक्का सहित कई लोगों ने भाग लिया।


 

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