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22 वर्षों में सिर्फ 1 आश्रित को मिली नौकरी, नक्सल हिंसा में अपनों को खोने वालों का दर्द

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रांची 

पश्चिम सिंहभूम जिले में जारी नक्सल हिंसा में दर्जनों निर्दोष मारे गये हैं। सरकारी नियम के अनुसार मृतक के कम से एक आश्रित को नौकरी दिया जाना है लेकिन इस योजना का हाल ये है कि सरकार 2001 से अब तक सिर्फ 1 आश्रित को ही नौकरी दे पायी है। ये हाल झारखंड के सिंहभूम जिले का है। वहीं जिले में 18 लोगों के लिए नौकरी की प्रक्रिया चल रही है। इन सबके किसी न किसी परिजन को नक्सलियों ने अपना निशाना बनाया है। यह जानकारी पश्चिम सिंहभूम जिले के एसपी आशुतोष शेखर ने आरटीआई एक्टिविस्ट व भाजपा नेता सिर्मा देवगम को दी है। सिर्मा देवगम ने चाईबासा के एसपी को पत्र लिखकर पश्चिम सिंहभूम में नक्सली हिंसा में मारे गए निर्दोष लोगों के आश्रितों को सरकारी नौकरी व अनुग्रह राशि के संबंध में जानकारी मांगी थी।

इनको मिला है योजना का लाभ
एसपी चाईबासा ने जो जानकारी दी है उसके अनुसार नौकरी और मुआवजा पाने वाले एकमात्र व्यक्ति हैं, गोइलकेरा के रासिका भुईया। जिन लोगों को नौकरी की प्रक्रिया जारी है उनमें ये लोग शामिल हैं- छोटा कुइटा के सुरेन सुरी, सेरेंगदा के सोमनाथ मल्लाह, बरायबीर के शिवा तैशुम, डेरवा गिर्जा टोली के दिलवर भेंगरा, बडा दईया के रतनलाल कोडा, कदमडीह के प्रेम सिंह सुरीन व रोन्दो सुरीन, पालूहासा के बैराम लुगून, रेंगडा के चेतन कोडा, ईचाहातू के कृष्ण पूर्ति, बरौली के विक्रम होनहागा, रेंगडाहातू के जेना कोडा, नारो कोडा, लुईया के कान्डे लागुरी एवं पारोमसाई के सुपाई मुटकान।