द फॉलोअप डेस्क
रांची के ईरबा स्थित फ्लोरेंस कॉलेज ऑफ फार्मेसी में नेशनल फार्मेसी एजुकेशन दिवस के अवसर पर 'फार्मा अन्वेषण 2025' कार्यक्रम का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में प्रमुख अतिथि के रूप में फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया के Member of Executive Committee धर्मेन्द्र सिंह, विशिष्ट अतिथि के रूप में रजिस्ट्रार और सेक्रेटरी, झारखंड स्टेट फार्मेसी काउंसिल प्रशांत कुमार पाण्डेय, फाउंडर एवं सीईओ, डी-सेट कंसल्टिंग प्राइवेट लिमिटेड बेंगलुरू चिन्मया मिश्रा, क्वालिटी हेड ज्यदुस हेल्थकेयर लिमिटेड अहमदाबाद रवींद्र पात्रा और टीम लीडर, फेर्रिंग लैबोरेट्रीज प्राइवेट लिमिटेड, हैदराबाद रतनाकर सतापाथी सहित संस्थान की सचिव मती जीनत कौशर, सोसाइटी मेंबर डॉ नाजनीन कौशर और निदेशक डॉ शाहीन कौशर प्रमुख रूप से उपस्थित थे। इस दौरान कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलित कर की गई। इसके बाद छात्रों द्वारा प्रस्तुत रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने माहौल को जीवंत बना दिया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि धर्मेन्द्र सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि इस दिन को स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र के नायकों, फार्मासिस्टों और फार्मेसी पेशेवरों को उनके अतुलनीय योगदान के लिए सम्मानित करने हेतु मनाया जाता है। उन्होंने फार्मासिस्टों की भूमिका को अत्यधिक महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि ये न केवल दवाइयां प्रदान करते हैं, बल्कि समाज में स्वास्थ्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए निरंतर प्रयासरत रहते हैं।
वहीं, विशिष्ट अतिथि प्रशांत कुमार पाण्डेय ने कहा कि फार्मासिस्टों का कार्य केवल दवाइयां देना नहीं, बल्कि वे हमारे स्वास्थ्य का अभिन्न हिस्सा होते हैं। उन्हें ‘स्वास्थ्य संरक्षक’ के रूप में सम्मानित किया जाना चाहिए। इसके अलावा संस्थान की सचिव मती जीनत कौशर ने अपने विचार साझा करते हुए कहा कि आज के समय में जब स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बढ़ रही हैं, फार्मासिस्टों की भूमिका और भी ज्यादा महत्वपूर्ण हो गई है। उन्होंने बताया कि फार्मासिस्ट डॉक्टर और नर्सों के साथ मिलकर रोगियों को सर्वोत्तम देखभाल सुनिश्चित करते हैं, और यह कार्य स्वस्थ समाज के निर्माण में अहम भूमिका निभाता है।
इस अवसर पर संस्थान के प्राचार्य डॉ संजीव कुमार कर, आशुतोष बेहेरा, मजहर अंसारी, पवन कुमार, डॉ मंजर आलम, रचना भारती, ज्योति कंचन, सत्यजीत मोहंती सहित कई अन्य सम्मानित सदस्य भी उपस्थित थे। इस आयोजन ने फार्मेसी के महत्व और इस क्षेत्र में किए जा रहे योगदान को एक नई पहचान दी।