द फॉलोअप डेस्कः
कोरोना काल के दौरान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निर्देश पर अधिसूचित योजनाएं शुरू की गई थी। जिसका अब सुखद परिणाम सामने आ रहा है। इससे पलायन भी कम हुआ है, वहीं दूसरी ओऱ लगो मछली पालन कर आत्मनिर्भर भी हो रहे हैं। इस कारण राज्य में वित्तीय वर्ष 2022-23 में करीब 23 हजार टन अधिक मछली का उत्पादन किया गया। साथ ही, मछली उत्पादन के कारोबार से 1.65 लाख किसान एवं मत्स्य पालक भी जुड़ गये। अधिसूचित योजनाओं का लाभ लाभुकों को पहुंचाने में चाईबासा जिला प्रशासन आगे रहा। यहां के लोगों ने बढ़-चढ़कर योजनाओं का लाभ लिया। यहां के युवाओं ने बायोफ्लॉक तकनीक की मदद से जमीन के छोटे भू- भाग पर कम पानी एवं औसत लागत के बाद अलग-अलग प्रजाति की मछली का पालन किया। जिससे वह प्रति टैंक 4-5 क्विंटल उत्पादन प्राप्त कर रहे हैं। पलायन की मंशा रखने वाले युवाओं को जिला मत्स्य कार्यालय की तरफ से प्रोत्साहित किया गया। योजना के तहत 40 से 60% अनुदान पर संचालित तकनीक से के बारे में बताकर लाभान्वित किया गया, परिणाम यह निकला कि आज सभी अपने क्षेत्र में रहकर बेहतर जीवकोपार्जन कर रहे हैं।
आजीविका के साथ पर्यटन को भी बढ़ावा
चाईबासा में सरकार सिर्फ बायोफ्लॉक विधि से ही मछली उत्पादन नहीं हो रहा है। बल्कि यहां के 6 जलाशय और 2 खदान तालाब में भी मछली पालन ग्रामीणों से करवाया जा रहा हैं। इन जलाशयों में सिर्फ मछली पालन ही नहीं होता बल्कि पर्यटन के दृष्टिकोण से मोटर बोट/ पेडल बोट मत्स्य जीवी समितियों को दिया गया। ताकि वे केज पद्धति के साथ-साथ पर्यटन से भी अच्छी आमदनी अर्जित कर सकें। जलाशयों में अब स्थानीय लोगों को मछली पालन और पर्यटन से जोड़ा गया है, जो उनकी नियमित आमदनी का जरिया है। मछली उत्पादन की आधुनिक विधि , प्रोत्साहन, प्रशिक्षण के प्रभाव से युवा इस ओर अपनी रुचि दिखा रहें हैं। इससे मछली उत्पादन में बढ़ोतरी हो रही है। किसानों को जरूरत के मुताबिक संसाधन भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
बेहतर आमदनी प्राप्त कर मिसाल बन रहे युवा
पश्चिमी सिंहभूम, चाईबासा के डीसी अनन्य मित्तल ने कहा कि मुख्यमंत्री के निर्देश पर बायोफ्लॉक से मछली पालन, सतत आय के लिए जलाशयों में केज कल्चर से मछली पालन, पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए नौका विहार तथा बेहतर तकनीक की उपलब्धता से अधिकाधिक कृषि उत्पादन प्राप्त करने के लिए स्थानीय नवयुवकों को विभिन्न विभागों के सहभागिता पर जागरूक किया गया। जिसके उपरांत नवयुवकों, कृषकों व समितियों को उनके रूचि के अनुसार प्रशिक्षण के बाद विभागों द्वारा संचालित योजनाओं में लाभुक अंशदान या जिले में उपलब्ध मद से पूर्ण अंशदान के माध्यम से सभी को प्रोत्साहित किया गया। अब स्थानीय स्तर पर रोजगार का अवसर प्राप्त होने के बाद युवा जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रगतिशील है तथा घर में ही संचालित रोजगार से बेहतर आमदनी प्राप्त कर अन्य युवाओं के लिए मिसाल बन रहे हैं।
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