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प्रकृति पर्व सरहुल आज, हर्षोल्लास के साथ निकलेगी शोभायात्रा

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द फॉलोअप डेस्कः 
झारखंड का सबसे बड़ा प्रकृति पर्व सरहुल आज है। आदिवासियों का यह प्रमुख त्यौहार है. हर साल चैत्र महीने के तृतीय को यह पर्व मनाया जाता है। मुख्यता यह पर्व प्रकृति से जुड़ा हुआ है। इसमें साल और सखुआ के पेड़ की विशेष पूजा की जाती है। पतझड़ के बाद पेड़ों में आने वाले नए फूल के स्वागत में यह पर्व मनाया जाता है। इससे जुड़ी कई मान्यताएं हैं। सरहुल दो शब्दों से मिलकर बना है सर और हुल। सर का अर्थ होता है सखुआ का फूल और हुल का अर्थ होता है क्रांति। मतलब साल के पेड़ों पर फूलों की क्रांति। आज के दिन धूमधाम से भव्य जुलूस निकाला जाता है। रांची में सरहुल को लेकर विशेष तैयारी की गई है।


तीन दिन पहले से शुरू होता है अनुष्ठान 
रांची के सिरम टोली स्थित सरना स्थल में सरहुल को लेकर तैयारी पूरी है। आदिवासी समाज के लोग इस दिन नए साल की शुरुआत करते हैं। साथ ही खेती की शुरुआत भी इसी पर्व को मनाने के बाद की जाती है। 3 दिन पहले ही लोग सरहुल के अनुष्ठान में जुट जाते हैं। पाहन की तरफ से विशेष अनुष्ठान किया जाता है। इस दौरान ग्राम देवता को पूजा जाता है। और कामना की जाती है कि आने वाला साल खुशियों से भरा हो। खेत खलिहान भरा पूरा रहे। पूजा के दौरान सरना स्थल पर मिट्टी के बर्तन में पानी रखा जाता है। जिस के स्तर को देखने के बाद पाहन आने वाले मौसम के बारे में भविष्यवाणी करते हैं। पूजा खत्म होने के अगले दिन फूल खोसी की प्रथा होती है। आदिवासी समाज के लिए यह पर्व बेहद खास है। सरहुल को लेकर आज शहर में धूम है। पिछले कई दिनों से इस पर्व को लेकर प्रसाशन व लोगों की तैयारियां चल रही थी। वहीं आज सरहुल की शोभा यात्रा निकाली जाएगी। इस दौरान प्रसाशन ने अपनी सभी तैयारियां पूरी कर ली है। साथ ही शहरवासियों के लिए रूट में बदलाव भी किया गया है। बता दें राजधानी में शुक्रवार को सरहुल की शोभायात्रा निकाली जाएगी इसके कारण प्रशासन द्वारा निर्धारित रूट में सिर्फ जुलूस में शामिल हुए वाहनों का ही प्रवेश होगा।

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