रांची
जामताड़ा की साइडिंग में बुधवार को एक अनोखी घटना घटी, जिसने सबका दिल छू लिया। यहां, ग्रामीण विकास मंत्री डॉक्टर इरफान अंसारी एक स्कूटी शोरूम के उद्घाटन के लिए पहुंचे थे। वहां मौजूद लोगों की भारी भीड़ के बीच एक मासूम आदिवासी बच्ची की नजर मंत्री इरफान पर टिक गई। उसकी आंखों में एक अजीब सी चमक थी और उसने मासूमियत से उन्हें "पापा पापा" कहकर पुकारा।
गरीबों के मसीहा के रूप में जाने जाते हैं
मंत्री जी की नजर जैसे ही उस बच्ची पर पड़ी, वे उसके पास गए। बच्ची ने कहा, "मेरे पापा नहीं हैं, लेकिन आपको देखकर मुझे पापा वाली अनुभूति आ रही है। मैं रोज़ आपके बारे में सुनती हूं। आप बहुत बड़े दिलवाले हैं और गरीबों के मसीहा के रूप में जाने जाते हैं।" बच्ची की बातों ने मंत्री जी के दिल को छू लिया। उन्होंने तुरंत ही उस बच्ची को अपने पास बुलाया और स्कूटी की चाबी उपहार में दे दी। साथ ही, प्यार से कहा, "अगर तुम्हारे पापा नहीं हैं, तो क्या हुआ? अब से मैं तुम्हारा पापा हूं। तुम अच्छे से पढ़ाई करो और जीवन में आगे बढ़ो। हेलमेट पहनकर स्कूटी चलाना और समय पर विद्यालय जाना। तुम्हारी पढ़ाई-लिखाई सहित बाकी सभी ज़रूरतों का ध्यान मैं रखूंगा।"
जिले में हो रही है चर्चा
मंत्री डॉ इरफान अंसारी की इस दरियादिली ने मौके पर मौजूद सभी लोगों के दिलों को छू लिया। उनकी इस सच्ची और भावुक पहल की चर्चा पूरे जामताड़ा में आग की तरह फैल गई। लोग हैरान थे कि आज भी ऐसे लोग हैं, जो गरीबों के दर्द को अपना समझते हैं और उनके हर सुख-दुख में शामिल होते हैं।
उम्मीद की किरण जगायी है
इस घटना ने पूरे झारखंड में भावनाओं की एक लहर दौड़ा दी है। मंत्री इरफान अंसारी की इस दरियादिली ने न केवल उस अनाथ बच्ची की जिंदगी में उम्मीद की एक नई किरण जगाई, बल्कि पूरे समाज को यह संदेश दिया कि सच्चा नेतृत्व केवल सत्ता में नहीं, बल्कि दिल में होता है। जब उन्होंने उस बच्ची को स्कूटी के साथ जीवनभर का सहारा देने का वादा किया, तो यह घटना एक मिसाल बन गई। यह घटना उस मानवीयता और संवेदनशीलता की प्रतीक बन गई है, जो आज के समय में दुर्लभ हो गई है। मंत्री जी का यह कदम उनके विकास पुरुष और गरीबों के मसीहा होने की छवि को और भी सशक्त बनाता है।