द फॉलोअप डेस्क, रांची
रांची के सिरमटोली इलाके में बन रहे फ्लाईओवर को लेकर आदिवासी समाज में गहरी नाराजगी देखी जा रही है। इस निर्माण कार्य के कारण सरना धर्मस्थल की पवित्र भूमि प्रभावित हो रही है जो आदिवासी समुदाय की आस्था और परंपरा का अहम हिस्सा है। सरना स्थल पर वर्षों से धार्मिक अनुष्ठान होते आ रहे हैं और यह स्थान आदिवासी समाज की सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है। अब फ्लाईओवर निर्माण के कारण इस भूमि के अधिग्रहण से आदिवासी समाज के अधिकारों और धार्मिक स्वतंत्रता पर असर पड़ने की आशंका जताई जा रही है। सिरमटोली फ्लाईओवर को लेकर ये बातें मंत्री चमरा लिंडा ने कही है।
झारखंड सरकार के आदिवासी कल्याण मंत्री चमरा लिंडा ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निर्देश पर इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया दी और निर्माण स्थल का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने फ्लाईओवर की ऊंचाई पर चिंता जताते हुए कहा कि सरना धर्मस्थल पर श्रद्धालु पूजा-अर्चना करने आते हैं। अगर फ्लाईओवर की ऊंचाई कम रखी गई, तो श्रद्धालुओं को आने-जाने में कठिनाई हो सकती है और दुर्घटनाओं की संभावना भी बढ़ सकती है। इसलिये उन्होंने फ्लाईओवर की ऊंचाई बढ़ाने की मांग की, ताकि भविष्य में किसी भी प्रकार की दुर्घटना से बचा जा सके।
फ्लाईओवर निर्माण कंपनी एल एंड टी ने कहा है कि वे नए डिज़ाइन पर काम कर रहे हैं और इसे मंजूरी मिलने में 15 दिन का समय लगेगा। कंपनी का कहना है कि सभी पहलुओं का ध्यान रखते हुए समाधान निकाला जाएगा जिससे सरना स्थल की पवित्रता भी बनी रहे और यातायात व्यवस्था भी सुचारू रूप से चल सके। मंत्री चमरा लिंडा ने सिरमटोली के स्थानीय लोगों के साथ बैठक की और आदिवासी समाज की आस्था और संस्कृति की रक्षा करने का संकल्प लिया। उन्होंने यह भी कहा कि आधुनिक विकास कार्यों के बावजूद किसी की धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक विरासत को नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए।