द फॉलोअप डेस्क
झारखंड में माइक्रो फाइनेंस कंपनिया महिलाओं को टारगेट कर रही है। कर्ज देकर उनको जाल में फंसा कर परेशानी में डाला जा रहा है। यहां तक कि कर्जदार महिला को घर से उठा ले जाने तक की घटना सामने आयी है। पलामू, मेदिनीनगर के छतरपुर प्रखंड से एक ऐसी ही खबर आयी है। यहां एक फाइनेंस कंपनी ने महिला को पहले कर्ज लेने के लिए तैयार किया। फिर समय पर किस्त नहीं मिला, तो वे महिला को घर से उठा ले गये। इसके साथ गाली-गलौज की गयी और उसे प्रताड़ित किया गया। बता दें कि गांव की सीधी सादी महिलाओं को कर्ज देने के लिए फाइनेंस कंपनियां गांव की ही किसी महिला का सहारा लेते हैं। कई मामले ऐसे भी सामने आये हैं, जिसमें महिला द्वारा समय पर किस्त नहीं अदा करने पर उनके घर से गहने, बर्तन और गैस सिलेंडर तक कंपनी के दलाल ले गये।
कई घरों में खाना बनाना भी हुआ मुहाल
गौरतलब है कि छतरपुर इलाके में इन दिनों लगभग एक दर्जन फाइनेंस कंपनियों ने अपना जाल फैलाया हुआ है। ये कंपनियां महिलाओं को समूह बनाकर कर्ज देती हैं। एक महिला को एक से डेढ़ लाख रुपये तक कर्ज दिया जाता है। वसूली के लिए पाक्षिक या मासिक अवधि तय की जाती है। समय पर किस्त नहीं चुकाने पर फाइनेंस कंपनियों के एजेंट महिलाओं को तरह – तरह से परेशान करने लगते हैं। किस्त वाले दिन कई महिलाएं घर छोड़कर चली जाती हैं। उनकी अनुपस्थिति में कंपनी वाले घर के कीमती सामान उठाकर ले जाते हैं। इनमें गहना, बर्तन, गैस सिलेंडर कुछ भी हो सकता है। इस कारण कर्ज लेने वाली महिला के घर में कई बार खाना बनाना भी मुश्किल हो जाता है।
क्यों कर्ज लेती हैं महिलाएं
बता दें कि इलाके के अधिकतर गांव में गरीबी चरम पर है। यह पलायन की दर राज्य के दूसरे जिलों से कहीं अधिक है। गांवों के अधिकतर पुरुष रोजगार के लिए दिल्ली, मुंबई, कोलकाता जैसे शहरों में चले जाते हैं। इस कारण घरों में सिर्फ महिलाएं और बच्चे रह जाते हैं। फाइनेंस कंपनियों के एजेंट इसी स्थिति का लाभ उठाते हैं। वे महिलाओं को कर्ज देकर अपने जाल में फंसा लेते हैं। फिर उनको तरह-तरह से प्रताड़ित होना पड़ता है। कई महिलाओं ने बताया कि कंपनी की किस्त देने के लिए उनको एक और कर्ज लेना पड़ा। इस कर्ज की ब्याज दर कंपनी की दर से ऊंची रहती है।