द फॉलोअप डेस्क
1932 का खतियान, ओबीसी को 27% आरक्षण और मॉब लींचिंग रोकने वाले विधेयक को राज्यपाल ने विधानसभा को लौटा दिया था। इसके साथ राज्यपाल की ओऱ से कोई संदेश संलग्न नहीं किया गया था। इस बाबत झारखंड राज्य समन्वय समिति के सदस्य आज राजभवन पहुंचे। समिति के सदस्य 1932 खतियान, ओबीसी को 27% आरक्षण और मॉब लींचिंग रोकने वाले विधेयक को संदेश के साथ विधानसभा को लौटाने का आग्रह करने गये थे। लेकिन राज्य समन्वय समिति के प्रतिनिधिमंडल को राजभवन में इंट्री नहीं मिली। इसके बाद जेएमएम महासचिव विनोद कुमार पांडेय व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने बयान जारी कर कहा कि विधिवत रूप से राज्यपाल से मिलने का समय मांगा गया था। लेकिन राज्यपाल की ओर से न तो समय दिया गया और न ही कोई सूचना दी गयी।
क्या कहा नेताओं ने
नेताओं ने कहा कि इससे साफ होता है कि राजभवन और राज्यपाल किसी दल विशेष या व्यक्ति विशेष के प्रेशर में काम कर रहे हैं। बिना अनुमति के राज्यपाल से मिलने पहुंचने के सवाल पर कहा कि राज्यहित से जुड़ा मसला होने के कारण यह फैसला लिया गया। इस बारे में समिति के सदस्य विनोद कुमार पांडेय ने बताया कि विधानसभा से पारित विधेयक को सहमति के लिए राज्य सरकार की ओर से राज्यपाल सचिवालय को भेजा जाता है। राज्यपाल सचिवालय की ओर से विधेयक को वापस करते समय भारत के संविधान के अनुच्छेद-200 के तहत राज्यपाल का संदेश संलग्न करना होता है। बिना इसके इसकी कमियों को दूर कर पुन: विधानसभा में विधेयक को पेश करने में वैधानिक मुश्किलें पेश आ रही हैं।
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