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शिक्षक बहाली में स्थानीय और मूलवासियों को मिले प्राथमिकता – झारखंड छात्र संगठन 

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रांची 
आजसू की अखिल भारतीय छात्र संगठन ने राज्यपाल को मांग पत्र सौंपा है। इसमें संगठन ने मांग की है कि शिक्षक बहाली में स्थानीय और मूलवासियों को प्राथमिकता मिलनी चाहिए। संगठन ने मांग पत्र में कहा है कि राजकीय विश्वविद्यालयों में लचर व्यवस्था हावी है। इस कारण यहां से पीएचडी की उपाधि प्राप्त करने वालों की संख्या बहुत कम रहती है। साथ ही अन्य राज्यों की तुलना में यहां के छात्र काफी पिछड़े हुए हैं। इस कारण रोजगार की खोज में यहां के छात्र लाखों की संख्या में अन्य राज्यों में पलायन कर जाते हैं। 

पीएचडी की डिग्री नहीं होने पर पेश आ रही समस्या


कहा है कि झारखंड के अधिकतर स्थानीय छात्र आर्थिक रूप से कमजोर होते हैं। इस कारण पीएचडी एवं बेहतर शिक्षा के लिए बाहर जाने में असक्षम होते है। लेकिन अपनी मेहनत और लगन से वे राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (NET) में सफल हो रहे हैं। वर्तमान में अभी राजकीय विश्वविद्यालयों में संविदा पर शिक्षकों की बहाली प्रक्रिया चल रही है। इसमें झारखंड के स्थानीय, मूलनिवासी अभ्यर्थी स्नातक (UG) और स्नातकोत्तर (PG) में मेधावी होने के बावजूद पिछड़ जा रहे हैं। पीएचडी की डिग्री नहीं होने के कारण उनको शॉर्ट लिस्ट नहीं किया जा रहा है। 

राज्यपाल से की ये मांग 

संगठन ने कहा है कि यहां के स्थानीय औऱ मूलवासी छात्र साक्षात्कार की सूची से बाहर हो जा रहे हैं। इस सूची में अन्य राज्यों के अभ्यर्थी हावी हो रहे है। झारखंड राज्य के स्थानीय मूलनिवासियों के हितों की रक्षा के लिए अखिल झारखंड छात्र संघ (आजसू) यह मांग करती है कि बहाली प्रक्रिया में साक्षात्कार के लिए पांच गुना सूची (शॉर्ट लिस्ट) जारी की जाये। साथ ही इसमें स्थानीय और मूलनिवासियों को प्राथमिकता दी जाये। 

 

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