द फॉलोअप डेस्क
पाकुड़ में पुलिस और आदिवासी छात्रों के बीच हुई हिंसक झड़प में घायल हुए छात्रों से पूर्व विधायक लोबिन हेंब्रम मिलने पहुंचे। उन्होंने घायल छात्रों का हालचाल जाना और उनके साथ बातचीत की। पूर्व विधायक ने घटना की निंदा की और मामले में निष्पक्ष जांच की मांग की। उन्होंने डीजीपी से अनुरोध किया कि घटना की जांच कराई जाए और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।
आदिवासी मुख्यमंत्री होने के बावजूद आदिवासियों की स्थिति खराब है
लोबिन हेंब्रम ने कहा कि झारखंड में आदिवासी मुख्यमंत्री होने के बावजूद आज आदिवासियों की स्थिति काफी खराब है। आदिवासी छात्र को बिना किसी कारण के पीटा जा रहा है और उसे केस में फंसाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि डीजीपी से छात्रावास में छात्रों के साथ हुई मारपीट में शामिल दोषी पुलिस अधिकारियों और कर्मियों के खिलाफ जांच कर कार्रवाई करने को कहा गया है। झारखंड पुलिस से ऐसी उम्मीद नहीं थी कि वे छात्रों को मारपीट कर घायल कर दें और उल्टा उन पर ही केस भी कर दें। उन्होंने कहा कि हम फिलहाल विधायक नहीं हैं, लेकिन हम इन छात्रों के साथ जरूर हैं।
लोबिन ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया
पूर्व विधायक ने कहा कि मुख्यमंत्री नियुक्ति पत्र बांट रहे हैं जिसमें अधिकतर लोग दूसरे राज्यों के हैं। यहां के लोगों के साथ धोखा किया जा रहा है। सदस्यता समाप्त करने के सवाल पर लोबिन हेंब्रम ने कहा कि उन्होंने इस मामले में हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है और उन्हें न्याय जरूर मिलेगा। उन्होंने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष ने दबाव में आकर हमारी सदस्यता नियम को कानून के विपरीत बनाया है।
क्या है मामला?
गौरतलब है कि 27 जुलाई को आदिवासी छात्र संगठनों ने आक्रोश रैली निकालने का ऐलान किया था। उनका कहना था कि महेशपुर थाना क्षेत्र के गायबथान में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने आदिवासियों की जमीन पर जबरदस्ती कब्जा कर लिया है। इसका विरोध करने पर आदिवासी परिवारों के साथ मारपीट भी की गई। जिसके विरोध में आदिवासी छात्र संगठन आक्रोश रैली निकालने वाले थे। लेकिन देर रात बड़ी संख्या में पुलिस अधिकारी और जवान केकेएम कॉलेज के आदिवासी छात्रावास पहुंच गए। इस दौरान छात्रों और पुलिस के बीच झड़प हो गई।