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कुष्ठ प्रभावितों को मिला अपना आशियाना, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने निर्मल आवास नाम दिया

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द फॉलोअप डेस्कः 
राजधानी और आसपास के कुष्ठ प्रभावित लोगों आज अपना आशियाना मिल गया। जुडको द्वारा धुर्वा में निर्मित कुष्ठ कालोनी का मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने उद्घाटन किया। मुख्यमंत्री ने लाभुकों को सांकेतिक रूप से चाबी भी सौपा। इस दौरान उन्होंने कहा कि इस परियोजना का नाम बड़ा ही अजीब है। मुझे यह नाम लेने में संकोच हो रहा है। सबसे पहले इस आवास का नाम हमें सुंदर और गर्व करने वाला होना चाहिए। इसलिए मैं चाहूंगा कि इस आवास को निर्मल आवास के नाम से जाना जाए। इस परियोजना के बारे में आपलोगों को पहले भी बताया गया और लाभुक पहुंचे हैं उनको भी मालूम है। लेकिन सरकार का हमेशा ये प्रयास रहा है कि हर जरूरतमंद को हर वर्ग के लोगों को किसी भी परिस्थिति में रह रहे हों उनतक सरकार की आवाज पहुंचे सरकार की योजना पहुंचे। हमारी सरकार आपकी बात सुनती भी है समझती भी है और काम भी करती है। 


काफी संवेदनशीलता के साथ हम पिछले 5 साल से आपके सर्वांगीण विकास के काम मे लगे हुए हैं। कोरोना महामारी आया पूरा दुनिया में अफरा तफरी हुआ लेकिन झारखंड में कैसे कोरोना आया और कैसे गया हमने पता भी नहीं चलने दिया। और राज्यों की अपेक्षा हमलोग काफी सुरक्षित रहे। इतने सारे लोगों की रक्षा करने के लिए सरकार को कितनी जद्दोजहद करनी है यह हम बयां नहीं कर सकते। आज जिस समूह के लिए घर बना है वो समूह भी आज कई चुनौती और समस्या से परेशान है। ऐसे ही कोरोना का दिन था। स्वस्थ आदमी भी परेशान था। सबको हमलोगों ने एक समान नजर से देखते हुए उनकी सेवा की। बहुत कुर्बानी हमें भी देनी पड़ी। हमारे दो-दो मंत्री की जान चली गई। तब जाकर के इस राज्य के लोगों को हम सुरक्षित कर पाए। लंबे समय तक कोरोना रहता तो पता नहीं और कितने लोगों को निगल जाता। वो एक भयावह वक्त था जो हमारे सामने से गुजरा। हमें भूलना नहीं चाहिए कि उस मुसीबत में जहां दुनिया में और देश के अलग अलग कोने में एक हाहाकार मचा था। लोगों के दफन करने के लिए जगह कम था। लड़की कम हो गया था लोगों को जलाने के लिए। लेकिन हमने झारखंड में ऐसा माहौल नहीं बनने दिया।

 
गांव शहर इस राज्य के लोग बहुत गरीब लोग है। दिन भऱ मेहनत करता है तब जाकर एक दिन का चूल्हा जलता है। एक दिन मेहनत नहीं करेगा तो भूखा सोना पड़ता है। जब सब काम बंद हो गया था, सब फैक्ट्री बंद हो गया था। तब हमलोगों ने लोगों को मुफ्त में खाना खिलाया था। ये लड़ाई हमने अकेले नहीं आपके सहयोग से लड़ा है और आज जो शारीरिक रूप से स्वस्थ ना होने वाले लोगों को हमने आज एक ऐतिहासिक कदम बढ़ाया है। उस आवास के अंदर आपके अन्य सदस्य भी रहेंगे। अलग अलग जिलों में भी इस तरह की योजना बनाई जा रही है। इसी आशा उम्मीद के साथ आने वाले समय में आप जैसे लोग उनके दुखों को कम करने में हमलोग पूरा योगदान देंगे। 

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