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IAS अधिकारी रहे ब्रज किशोर पाठक की पुस्तक 'गीता सुगीता' का लोकार्पण

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द फॉलोअप डेस्क 

श्रीमद्भगवद्गीता को पढ़ना और समझना अक्सर कठिन माना जाता है। इस कठिनाई को आसान बना दिया है ब्रज किशोर पाठक ने। उन्होंने अपनी पुस्तक 'गीता सुगीता' में गीता के 18 अध्यायों का हिंदी में अत्यंत सरल और सहज पद्यानुवाद किया है। यह पुस्तक इतनी प्रवाहमयी और रोचक है कि एक बार पढ़ना शुरू करने के बाद इसे पूरा किए बिना छोड़ना कठिन होगा। संभवतः पहली बार श्रीमद्भगवद्गीता को इतने सरल शब्दों में प्रस्तुत किया गया है।
इस पुस्तक का लोकार्पण झारखंड के साहिबगंज कॉलेज में अंग्रेजी के पूर्व प्रोफेसर अरुण कुमार सिन्हा ने किया। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि ब्रज किशोर पाठक ने गीता को सहज भाषा में प्रस्तुत कर इसे आमजन तक पहुँचाने का सराहनीय कार्य किया है। यह कार्य आसान नहीं था, लेकिन ब्रज किशोर पाठक ने इसे इसलिए संभव बनाया क्योंकि उन्होंने न केवल गीता का गहन अध्ययन किया है बल्कि उसे अपने जीवन में उतारा भी है।
प्रो. सिन्हा ने आगे कहा कि इस पुस्तक के माध्यम से आमजन के लिए गीता के महत्व को समझना सरल हो जाएगा। लोकार्पण समारोह में ब्रज किशोर पाठक ने अपने गुरुजनों और साहित्य प्रेमियों के प्रति आभार व्यक्त किया और आशा जताई कि यह पुस्तक अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचेगी तथा वे इससे लाभान्वित होंगे।


लेखक परिचय
ब्रज किशोर पाठक बिहार प्रशासनिक सेवा के अधिकारी रहे हैं। उन्होंने बिहार और झारखंड दोनों राज्यों में अपनी सेवाएँ दी हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के ड्रीम प्रोजेक्ट 'जीविका' को धरातल पर उतारने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। अवकाश प्राप्ति के बाद भी उन्होंने लगभग 12-13 वर्षों तक जीविका के माध्यम से बिहार की सेवा की।
प्रशासनिक सेवा में रहते हुए भी उन्होंने हिंदी साहित्य की अनवरत सेवा की है। गद्य, पद्य, निबंध और कहानी के क्षेत्र में उनकी लेखनी का विशेष योगदान रहा है। बिहार के भोजपुर जिले के किशुनपुरा गाँव में जन्मे ब्रज किशोर पाठक पिछले 55 वर्षों से हिंदी साहित्य को समृद्ध कर रहे हैं। उनके सैकड़ों आलेख प्रकाशित हो चुके हैं, साथ ही कई कविता और कहानी संग्रह भी प्रकाशित हो चुके हैं।
उनके उत्कृष्ट साहित्यिक योगदान के लिए बिहार सरकार का फादर कामिल बुल्के पुरस्कार, रामधारी सिंह दिनकर राष्ट्रीय पुरस्कार समेत दर्जनों सम्मान मिल चुके हैं। वर्तमान में वे गुरुग्राम में रहकर हिंदी साहित्य की साधना कर रहे हैं और उनकी लेखनी सतत गतिशील है।

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