द फॉलोअप डेस्कः
बिहार सरकार में मंत्री रहे पूर्व आदिवासी कल्याण मंत्री गोवर्धन नायक का निधन गुरुवार की शाम उनके निवास स्थान कुमारडुंगी प्रखंड के छोटारायकमन गांव में हो गया। वह लम्बे समय से बीमारी से जूझ रहे थे। उनके निधन पर राजनीतिक जगत में शोक का माहौल है। शुक्रवार को उनका अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ गांव में ही किया गया। उनका जाना सम्पूर्ण कोल्हान में बहुत बड़ी राजनीतिक क्षति है। इसके साथ ही सामाजिक क्षेत्र में भी यह एक आपूरणीय क्षति है। वह एक राजनीतिज्ञ के साथ एक शास्त्रज्ञ, समाज सेवी, संविधान के ज्ञाता भी थे। उन्होंने साधारण व्यक्ति के रूप में जीवन व्यतीत कर लोगों के बीच अपनी पहचान बनाई।
कैसा रहा राजनीतिक सफर
गोवर्धन नायक की पहचान उनके धोती, कुर्ता से ही थी। उन्होंने अपने राजनैतिक जीवन का आरंभ धोती कुर्ता पहनकर की थी। अंतिम सांस तक वे धोती कुर्ता में ही रहे। चाहे कोई बड़ा कार्यक्रम हो या छोटा कार्यक्रम वे धोती कुर्ता में ही हर कार्यक्रम में शामिल होते थे। मंत्री गोवर्धन नायक अपने कार्यकाल में दो बार मंत्री पद में रहे। प्रथम बार 1977 में उन्होंने चुनाव लड़कर जीत हासिल किए। उसके बाद उन्हें पशुपालन एवं सहकारिता विभाग में मंत्री पद पर दिया गया। यह कार्यकाल ढाई बरस तक चली। उसके बाद मंत्री मंडल भंग हो गया। उसके बाद के चुनाव में हुए हार गए। तीसरी बार जब चुनाव लड़ें 1995 में उन्होंने जीत हासिल किया। तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने उन्हें आदिवासी कल्याण मंत्री के रूप में मंत्री पद दिया। इस मंत्री पद में उन्होंने 5 साल पूरे किए। उसके बाद उनकी राजनीतिक जिंदगी थोड़ी धीमी हो गई। राजनीतिक जीवन से अलग होकर पूर्व मंत्री गोवर्धन नायक ने धार्मिक जीवन अपना लिया था।
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